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2019 में मोदी को परेशान कर सकती हैं भाजपा शासित राज्यों की सत्ता विरोधी लहर

विपक्ष को 2019 में वापस आने का अच्छा मौका

नई दिल्ली (ईएमएस)। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जिन राज्यों में भी विधानसभा चुनाव हुए हैं, उनमें ज्यादातर राज्यों में सत्ता विरोधी लहर देखने को मिली है। हाल में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैया की हार भी इसी ट्रेंड का नतीजा है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां भी ऐसी सत्ता विरोधी लहर देखने को मिल सकती है। जो कि मोदी विरोधी दलों के लिए एक अच्छी खबर हो सकती है।

बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर देखने को मिली थी। 2जी स्पेक्ट्रम,कोयला ब्लॉक आवंटन और राष्ट्रमंडल खेल सहित कई घोटालों के चलते लोगों ने मनमोहन सिंह के खिलाफ वोट किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत देकर देश की सत्ता सौंपी थी।

लोकसभा चुनाव में चली मोदी लहर के दौरान ही पहला विधानसभा चुनाव दिल्ली में हुआ। राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से आप पार्टी को 67 सीटें मिली। दिल्ली का जनादेश बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ चला गया। कांग्रेस दिल्ली चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी। देश के जिन राज्यों में सत्तारूढ़ दल के खिलाफ जनादेश गया,उनमें आधिकांश राज्यों में कांग्रेस सत्ता पर काबिज थी। इसकारण ग्रैंड ओल्ड पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का समाना करना पड़ा है। इसी के चलते कांग्रेस को कई राज्यों में अपनी सत्ता गंवानी पड़ी है। महाराष्ट्र,हरियाणा, असम, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए हैं। इन सभी राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं और उस सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा। कर्नाटक चुनाव में भी यही हुआ। एक के बाद एक राज्य की सत्ता कांग्रेस के हाथों से खिसकती गई। आंध्रप्रदेश में टीडीपी ने कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस को हराकर सत्ता हासिल की। बाकी अन्य सभी राज्यों में बीजेपी विजेता बनकर आई। आंध्र प्रदेश में बीजेपी का कोई वास्तविक आधार नहीं है,दो महीने पहले तक वो टीडीपी के साथ थी, लेकिन अब दोनों की राह अलग-अलग है।

ओडिशा में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजेडी और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी तृणमूल ने इस प्रवृत्ति को कम कर दिया। हालांकि ये अपवाद है, 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार, लालू की पार्टी आरजेडी के साथ गठजोड़ करके बिहार में अपनी सत्ता को बचाए रखने में कामयाब रहे। आने वाले दिनों में फिर राजस्थान में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पडेगा। गुजरात में बीजेपी को 22 सालों तक सत्ता में रहने की वजह से असंतोष का सामना करना पड़ा है। हालांकि, बीजेपी अपनी सत्ता को बचाने में सफल रही,लेकिन पहली बार बीजेपी 100 के आंकड़े नीचे आ गई और बहुमत से महज सात सीटें ज्यादा मिली। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को भी कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है,दोनों राज्यों में कांग्रेस सामने होगी।

राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में दोनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला होगा। इसी तरह से झारखंड में कांग्रेस-जेएमएम गठबंधन अगले विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। हालांकि बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर सबसे मजबूत पार्टी है और नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय नेता माने जा रहे हैं। वहीं सत्ता विरोधी लहर की प्रवृत्ति जारी,तो 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल के लिए जीत आसान नहीं होगी। बशर्ते विपक्ष संयुक्त होकर मैदान में उतरे। इतना ही नहीं अगर विपक्षी पार्टियां आपसी मतभेद दूर करके व्यावहारिक रवैया अपनातीं हैं, तो फिर सत्ताधारी बीजेपी के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है। विपक्ष को उम्मीद है कि बीजेपी 20 राज्यों की सत्ता में काबिज है और 2019 में कई राज्यों में सत्ता विरोधी लहर होगी, जिससे लोकसभा चुनावों में विपक्ष को मदद मिल सकती है।

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