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टोक्यो में ओलंपिक पदक जीतना टीम का लक्ष्य : सलीमा टेटे

बेंगलुरु। भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर सलीमा टेटे ने बुधवार को कहा कि टोक्यो में ओलंपिक पदक जीतना टीम का लक्ष्य है और इसके लिए टीम किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।

कोरोनावायरस महामारी के कारण, टोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया है और अब इन खेलों का आयोजन जुलाई 2021 में किया जाएगा। कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉक डाउन के बीच भारतीय महिला टीम बेंगलुरु के भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) परिसर में अपने कौशल और फिटनेस में सुधार पर काम कर रही है।

सलीमा ने कहा,”अगले एक साल में हमारे खेल में सुधार करने की बहुत गुंजाइश है और लॉकडाउन के दौरान हम अपनी फिटनेस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लॉकडाउन खत्म होने के बाद हम एक बार फिर से प्रशिक्षण शुरू करेंगे।”

उन्होंने कहा, “हम कड़ी मेहनत करने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं। ओलंपिक खेलों की तैयारियों में किसी भी प्रकार की चुनौती हमारा रास्ता नहीं रोक सकती।” वर्ष 2017 में भोपाल में बेलारूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने सलीमा भारत की सबसे युवा खिलाड़ी बनीं। हालांकि इस प्रतियोगिता में वो कुछ खास नहीं कर सकीं। हालांकि इसके बाद वह जूनियर भारतीय टीम की नियमित सदस्य रहीं। इसके बाद वह 2019 में फिर से वरिष्ठ टीम में शामिल हुईं।

भारतीय टीम की सबसे युवा सदस्यों में से एक, 19 वर्षीय सलीमा ने कहा,”2017 में जब मैंने सीनियर टीम के लिए खेला तो मेरे अंदर आत्मविश्वास की कमी थी। मैं डर गई थी,जिसका असर मेरे खेल पर पड़ा।” वर्ष 2018 में तीसरे युवा ओलंपिक खेलों का आयोजन ब्यूनस आयर्स में हुआ, जहां उन्होंने उप-कप्तान लालरेम्सियामी के साथ टीम का नेतृत्व किया, इस प्रतियोगिता में सलीमा के करियर को बदल दिया।

सलीमा ने कहा, “यह तीसरा युवा ओलंपिक खेल था जहां मैंने वास्तव में अपने खेल को आगे बढ़ाया। सयामी (लालरेम्सियामी) और मैं हर मैच से पहले खुद से कहती थी कि हमें सामने से टीम की अगुवाई करनी है। हम आत्मविश्वास के साथ खेले। मुझे लगता है कि इन खेलों से मैंने जो अनुभव प्राप्त किया वह मेरे करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

सलीमा, जो झारखंड के सिमडेगा जिले के एक छोटे से गाँव की रहने वाली हैं, ने 2018 के बाद से भारतीय टीम में अपनी क्षमता साबित कर दी है, मुख्य कोच सजोर्ड मरिजने अक्सर मिडफील्ड और बैकलाइन में महत्वपूर्ण भूमिका के साथ उन पर भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा,”टीम में सीनियर्स ने वास्तव में मेरे प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मेरी मदद की है। वे लगातार मुझसे बात करते हैं और मुझे विशेष रूप से प्रोत्साहित करते हैं जब हम ऑस्ट्रेलिया, स्पेन या जापान जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ खेलते हैं।” (एजेंसी, हि.स.)

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