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प्रा.वि. अराजी बसडीला: प्रोजेक्टर से पढ़ते हैं स्मार्ट स्कूल के होनहार नौनिहाल

गोरखपुर, 04 नवम्बर (हि.स.)। जिले के पिपराइच क्षेत्र के अराजी बसडीला स्थित प्राथमिक विद्यालय के बच्चे स्मार्ट होने लगे हैं। विद्यालय की गणना भी कान्वेंट स्कूलों में होना शुरू हो गयी है। यह स्कूल में शिक्षकों की मेहनत और विद्यालय निर्माण में उनके खुद के द्वारा लगाए गए धन से संभव हुआ है। अब यहां के नौनिहाल श्यामपट्ट के साथ प्रोजेक्टर पर भी ज्ञान लेने लगे हैं। 

निजी स्कूलों को दी मात

लैपटॉप, साउंड सिस्टम, व्हाइट बोर्ड, बेंच, डेस्क, पंखा आदि से सुसज्जित विद्यालय की चमकने वाली दीवारों की तरह यहां के नौनिहालों का ज्ञान भी चमकने लगा है। विद्यालय में कभी नामांकित 57 बच्चों में स्थान पर अब यहां 150 नौनिहाल शिक्षा की ज्योति से आलोकित हो रहे हैं। इतना ही नहीं, रोजाना स्कूल आने वाले बच्चों की तादाद 15-20 से बढ़कर 120 तक पहुंच चुकी है।
स्कूल को दुश्वारियों से निपटने के लिए सरकारें काम कर रही हैं, लेकिन अब यहां के शिक्षकों ने भी इसमें हाथ बंटाना शुरू किया है। पिपराइच के पांच शिक्षकों ने अपनी तनख्वाह से प्राथमिक विद्यालय अराजी बसडीला पिपराइच को न केवल आधुनिक बनाया है, बल्कि प्राथमिक विद्यालय को कांवेंट स्कूलों की कतार में ला खड़ा किया है।

अपनी तनख्वाह से शिक्षकों ने स्कूल को बनाया आधुनिक

गोरखपुर मुख्यालय से तक़रीबन 25 किलोमीटर की दूर पिपराइच थाना क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय अराजी बसडीला बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहा है। शिक्षकों ने अपनी तनख्वाह से सबसे पहले विद्यालय में कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर सुविधाओं की भरपाई की। बेंच-डेस्क और बैठने के लिए कालीन का इंतजाम किया। सभी कमरों की दीवारों पर शिक्षा सम्बंधी पोस्टर और कैलेण्डर लगाये। व्हाइट बोर्ड का इंतजाम किया।

प्रधानाध्यापक आशुतोष कुमार सिंह की मानें तो दो जुलाई 2016 को विद्यालय ज्वाइन करने के बाद स्कूल की दशा सुधारने की ठानी। साथी शिक्षिका अर्चना सिंह, संयोगिता सिंह, श्यामा रानी गुप्ता व मोनिका श्रीवास्तव का साथ मिला। सभी ने अपने वेतन से 60 हजार रुपये जुटाए। प्रोजेक्टर, लैपटॉप व साउंड सिस्टम खरीदकर इनके उपयोग से नौनिहालों का भविष्य संवारना शुरू कर दिया।

हर दिन प्रोजेक्टर से होती है पढ़ाई

आशुतोष के मुताबिक विद्यालय में कुल 3 कमरे व एक बरामदा है। तीन कमरे की और जरूरत है। विद्यालय की बाउंड्री हो गई है। कामचलाऊ शौचालय भी है। सरकार की तरफ से पांच हजार मरम्मत का और साढ़े छह हजार पेटिंग के मद में मिलता है। इसके अलावा किताब, ड्रेस, जूता-मोजा व बैग भी मिलता है। मिड-डे मिल का भी इंतजाम है। बाकी सारा इंतजाम शिक्षक अपने पैसों से करते हैं। प्रतिदिन दो से तीन कक्षाओं में प्रोजेक्टर की मदद से पढ़ाई होती है।

बच्चों में बढ़ी अंग्रेजी शिक्षा से लगाव

प्रोजेक्टर के उपयोग से बच्चों की पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी है। अंग्रेजी वगैरह पढ़ने में बच्चों को परेशानी नहीं हो रही है। अन्य विषयों को रोचक ढ़ंग से सिखाया व पढ़ाया जा रहा है। यूट्यूब व एनसीईआरटी की नेट पर मौजूद शौक्षणिक सामग्री बहुत कारगर साबित हो रही है।

बोले प्रधानाध्यापक, ”शुरुआती दिनों में हुई थोड़ी दिक्कत”

प्रधानाध्यापक आशुतोष का कहना है कि शुरुआती दिनों में बच्चों को पढ़ाने में कुछ कठिनाईयां आयीं, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो गया। अब ये बच्चे कान्वेंट स्कूलों के बच्चों को टक्कर देने को तैयार हैं। पिपराइच में मौजूद इस प्राथमिक विद्यालय ने शिक्षा की एक अनोखी अलख जगाई है।

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