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मंडी नियमन मुक्ति से किसानों के साथ धोखाधड़ी: चव्हाण

मुंबई, 18 मई = मंडी नियमन मुक्ति के निर्णय से ही किसानों को आर्थिक धोखाधड़ी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले सप्ताह में बागलाण के मौसम खोरे के प्याज उत्पादक किसानों को परप्रांतीय व्यापारियों ने ढाई करोड़ का चूना लगाया। ऐसी घटनाएं नाशिक जिले में सामने आई हैं। इसलिए सरकार मंडी नियमन मुक्ति अध्यादेश को तुरंत रद्द करे और दोबारा मंडी द्वारा ही कृषि उत्पादन की खरीदी-बिक्री व्यवस्था को कायम करे। ऐसी मांग जिले की विधायक दीपिका चव्हाण ने सरकार से की है। इस बारे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पणन मंत्री चंद्रकांत पाटिल के पास निवेदन भी भेजा गया है।

गौरतलब है कि भाजपा सरकार ने बाजार नियमन मुक्ति का निर्णय लेकर किसानों के हित में निर्णय लेने की बात कही थी, लेकिन इससे किसानों को नुकसान और व्यापारियों को लाभ हो रहा है और इसका फायदा पर प्रांतीय व्यापारी उठा रहे हैं। नियमन मुक्ति से व्यापारी सीधे किसानों से कृषि माल खरीद रहे हैं। कुछ व्यापारी किसानों के कृषि माल की राशि दिए बगैर ही भाग जा रहे हैं।

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इतना ही नहीं यह व्यापारी मजदूरों की मजदूरी भी नहीं दे रहे हैं। ऐसा आरोप जिले की विधायक दीपिका चव्हाण ने लगाते हुए सरकार से मांग की है कि वह मंडी नियमन मुक्ति अध्यादेश को तुरंत रद्द करे। विधायक ने कहा है कि मंडी नियमन मुक्ति आदेश से प्याज, अंगूर, अनार और सब्जी उत्पादक किसान चिंता में डूब गए हैं।

व्यापारियों के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत की गई है, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। सरकार की किसान विरोधी नीति से पहले से ही किसान और ग्रामीण व्यवस्था काफी कमजोर हो गई है। सूखा और आपदा स्थिति से हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। नोटबंदी के बाद किसानों को कृषि माल की राशि धनादेश के माध्यम से दी जा रही है, लेकिन दो माह के बाद भी उन्हें बैंक द्वारा राशि नहीं मिल रही है। कुल मिलाकर किसान विभिन्न समस्याओं में फंस गया है।

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