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कोर्ट की अनुमति के बिना व्यक्तिगत संपत्ति भी नहीं बेच सकेंगे जेपी समूह के निदेशक

नई दिल्ली,22 नवम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने आज जेपी समूह के निदेशकों और उनके रिश्तेदारों को बिना कोर्ट की अनुमति के अपनी व्यक्तिगत संपत्ति बेचने से मना कर दिया है। जेपी समूह द्वारा दो हजार रुपए न जमा कर पाने की स्थिति में कोर्ट ने उन्हें किश्तों में रकम जमा करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि वो आज सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में 275 करोड़ रुपए जमा कराएं। 10 दिसंबर तक 150 करोड़ और 31 दिसंबर तक 125 करोड़ रुपए सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराएं। आज जेपी समूह ने 275 करोड़ रुपए सुप्रीम कोर्ट में जमा कराए। कोर्ट ने सभी निदेशकों को 10 जनवरी को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई भी 10 जनवरी को होगी।

कोर्ट ने कहा कि लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई जेपी समूह में निवेश किया जिससे कंपनी रियल एस्टेट क्षेत्र में सबसे ऊपर पहुंच गया, लेकिन अब उसे निवेशकों के पैसे चुकाने के लिए नीचे आना होगा।

पिछले 13 नवंबर को जेपी समूह द्वारा दो हजार करोड़ रुपये जमा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने जेपी समूह को फटकार लगाते हुए इसके निदेशकों को तलब किया था। सुनवाई के दौरान जेपी समूह ने कहा कि वे दो हजार रुपये का इंतजाम नहीं कर सकते हैं| वे सात सौ करो़ड़ रुपये दे सकते हैं। इससे कोर्ट नाराज हो गई। पिछले 6 नवंबर को जेपी समूह ने कहा था कि वो फिलहाल 400 करोड़ रुपये ही जमा कर पाएगी तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप कम से कम अपनी विश्वसनीयता साबित करने के लिए एक हजार करोड़ रुपये जमा कीजिए।

सुप्रीम कोर्ट जेपी एसोसिएट्स को पहले ही आदेश दे चुकी है कि पहले वे दो हजार करोड़ रुपये जमा करें। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि जेपी एसोसिएट्स फ्लैट खरीददारों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता है। 

18 सितंबर को जेपी समूह के करीब चार सौ फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया और मांग की कि उपभोक्ता कानून के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान दी जाए। इन फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि जेपी एसोसिएट्स की संपत्ति को जेपीइंफ्राटेक को ट्रांसफर किए जाने के मामले की जांच की जाए।

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