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चमत्कारों के कारण बेहद प्रसिद्ध है गौरीशंकर बाबा मंदिर

हमीरपुर, 12 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर यमुना पुल पार बीबीपुर गांव में गौरीशंकर बाबा मंदिर का वैभव एक हजार साल पुराना है। मंदिर के अंदर करीब तीस फीट गहराई में सुरंग बनी है, जो आसपास के कई एतिहासिक मंदिरों को जोड़ती है। कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भ के अंदर अटूट सम्पत्ति कहीं छिपी है, जिसकी लालच में कई बार रात में लोगों ने खुदाई की, मगर भगवान शिव का चमत्कार देख लोग फावड़े छोड़ उल्टे पांव घर भागने को मजबूर हो गये। शिवलिंग का अपमान करने पर कई लोग दंड भी पा चुके हैं। महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में दिन भर लोग रुद्राभिषेक करते हैं। 

हमीरपुर शहर से यमुना पुल पार नेशनल हाइवे-86 में मोड़ से करीब दो किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में बीबीपुर गांव स्थित है। गांव के बाहर एक हजार साल पुराना गौरीशंकर बाबा मंदिर है जिसमें स्थापित शिवलिंग अपने अतीत को आज भी संजोये हुये हैं। पं.रमाकांत बाजपई के मुताबिक रामप्रताप पाण्डेय व भगवान प्रसाद पाण्डेय सगे भाई थे, जिन्होंने इस मंदिर का निर्माण एक हजार साल पहले कराया था। काशी (वाराणसी) से गौरीशंकर की यह शिवलिंग उस जमाने में लायी गयी थी और काशी से पंडितों ने विधि विधान से शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठा करायी थी। ऐसा शिवलिंग जिसमें पार्वती की प्रतिमा बनी है। शिवलिंग दिन में कई बार रंग भी बदलता है। गौर से देखने पर शिवलिंग में अपना चेहरा दिखता है। 

शिवलिंग के बीस फीट नीचे गहरा तहखाना है जहां आज भी एक तख्त पड़ा है। इसे कोई देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाता है। मंदिर के अंदर दो सौ फीट गहराई में सुरंग है। सुरंग से आसपास के कई मंदिर भी जुड़े हैं। संवत 1844 का कुआं भी इस मंदिर से सुरंग के जरिये जुड़ा है। कई साल पहले गांव के ही कुछ लोगों ने खजाने के चक्कर में रात में चोरी छिपे शिवलिंग के आसपास नीचे करीब 15 फीट तक खुदाई करायी थी। कहा जाता है कि तभी शिवलिंग के गर्भ के अंदर वैभव को देखकर सभी कांपने लगे। कई फीट लम्बे काले नाग को देख खुदाई करने वाले भागे। कुछ ही दिन में सभी बीमार भी पड़ गये थे। बाद में शिवलिंग में माथा टेक कर माफी मांगी थी। 

रमाकांत बाजपेई ने बताया कि इस मंदिर के शिवलिंग की बड़ी विशेषता है। जो भी यहां माथा टेकने आया है भगवान भोले बाबा ने उसके मन की मुराद जरूर पूरी की है। हमीरपुर के एक युवक की आंख की रोशनी चली गयी थी। वह मंदिर में जाकर शिवलिंग से लिपटकर रोया तो एक महीने के अंदर आंखों में रोशनी आ गयी थी। गांव में एक साल भर के बच्चे को घर के लोगों ने सुलाने के लिये कुछ नशा दे दिया तो बच्चा बेजान हो गया। परिवार के लोग बच्चा को मंदिर ले गये और शिवलिंग के सामने लिटाकर प्रार्थना की थी। भगवान भोलेनाथ की कृपा से मात्र दस मिनट में ही बच्चे ने आंखें खोल दी थी। आज यह बच्चा हमीरपुर में वकालत कर रहा है। कई दशक पहले बाहर से एक नट आया और साधु बनकर इस मंदिर में रहने लगा था। उसने शिवलिंग का मान नहीं रखा तो उसे ऐसा दंड मिला कि कुछ ही महीने बाद नट पागल हो गया था। पूरा परिवार नट को लेकर मंदिर आया। उसके माफी मांगने पर पागलपन ठीक हो गया था। इस मंदिर का प्राचीनतम वैभव देख हमीरपुर और आस पास के जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग महाशिवरात्रि और सावन के महीने में दर्शन करने आते हैं। मंदिर में कभी ताला नहीं जड़ा गया है। सभी के लिये यह मंदिर खुला रहता है मगर रात 12 बजे के बाद इस मंदिर में कोई भी ठहर नहीं सकता है। 

बीबीपुर गांव के पंडित रमाकांत बाजपेई व शिवाकांत बाजपेई सहित कई पुराने बुजुर्गों ने बताया कि गौरीशंकर बाबा मंदिर में रात बारह बजते ही अजीब सा प्रकाश होता है। शिवलिंग रोशनी से नहा जाता है। उनका दावा है कि आधी रात के बाद कहीं से कई फीट लम्बा मोटा नाग आता है और शिवलिंग से लिपटते ही पूरा मंदिर प्रकाशमय हो जाता है। इन लोगों का कहना है कि कई साल पहले जहान सिंह मास्टर मंदिर के पास पंचायत घर में रहते थे। वह स्कूल में पढ़ाते थे। उनकी भगवान पर आस्था नहीं थी। आधी रात के बाद मास्टर ने देखा कि अंधेरे में डूबे इस मंदिर में इतना तेज प्रकाश कैसे हो रहा है जबकि यहां बिजली भी नहीं है। मंदिर के अंदर नृत्य और घुंघरू की आवाज सुन मास्टर साहब भागकर रमाकांत के घर पहुंचे और पूछा कि क्या घर की महिलायें पूजा करने गयी है। उनकी बात सुनकर घर के सभी लोग मंदिर पहुंचे तो वहां कोई नजर नहीं आया। मंदिर अंधेरे में डूबा था। बस उसी रात से मास्टर साहब की हालत खराब हो गयी थी और वह डर के कारण गांव छोड़ हमीरपुर बस गये थे।

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