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चीनी सामानों के विरोध में 1 करोड़ लोगों ने भरा संकल्प पत्र

नई दिल्ली, 24 जुलाई : स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि चीनी सामानों के विरोध में देशवासी संकल्प ले रहे हैं। इसी कड़ी में अब तक 1 करोड़ लोगों ने चीनी सामान नहीं खरीदने का संकल्प लेते हुए संकल्प पत्र भरकर चीन के प्रति अपना कड़ा रोष जताया है। इसके अलावा डेढ़ करोड़ और लोग संकल्प पत्र भरेंगे। इस अभियान में आम लोगों की भागीदारी अहम होगी। 

महाजन भारत-चीन द्विपक्षीय सम्बन्धों पर संगोष्ठी में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पिछली दीपावली पर चीनी सामान के बहिष्कार के कारण चीनी इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों में 15 से 20 प्रतिशत तक कमी देखी गई थी। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका ने 1933 में ‘बाय अमेरिकन एक्ट’ बनाया था जिसका सीधा मकसद अपनी देश की कंपनियों और वहां बने साजो सामान को प्राथमिकता देना था।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने स्वदेशी उत्पादन की नीति बनाई है जो कि सराहनीय कदम है। पिछली सरकार ने कई निविदाओं के लिए ऐसी शर्तें रखी थीं जो कंपनियों को लाभ पहुंचाने के मकसद से ही थी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि देश के संवेदनशील क्षेत्रों में चीनी कंपनियां टेंडर ले रही हैं जो कि सुरक्षा की दृष्टि से बेहद खतरनाक है।

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उन्होंने तीन कारण गिनाते हुए लोगों से आग्रह किया कि क्यों हमें चीनी समान का बहिष्कार करना चाहिए। चीन का व्यवहार हमारे देश के प्रति कभी ठीक नहीं रहा| चाहे एनएसजी हो या आतंकवाद, चीन ने हमेशा भारत विरोधी काम किया है। 
उन्होंने कहा कि देश में चीन के सामान आने के कारण युवा बेरोजगार हो रहे हैं, क्योंकि देश के कुल आयात में से 24 प्रतिशत चीन कर रहा है, जिसके कारण देश में विनिर्माण कम हो रहा है और स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। चीन से आयात कम होने पर भारत में उत्पादन बढ़ेगा जिससे नौकरियों में वृद्धि होगी। 

उन्होंने कहा कि चीनी कंपनियों को देश में काम करने का टेंडर देने का मतलब है कि उनके कुछ ऐसे उद्योगों को पुनर्जीवित करना जो वहां मृत हो चुके हैं।

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