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कला नहीं, इतिहास विरूपण के खिलाफ है करणी सेना

– एेतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने से रोकने के लिए ‘प्री-सेंसर बोर्ड’ के गठन की मांग

National.नई दिल्ली, 14 फरवरी = राजपूत युवाओं के संगठन श्री राजपूत करणी सेना ने प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित फिल्म ‘पद्मावती’ के खिलाफ अपने सख्त रुख का बचाव करते हुए यहां कहा कि ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित सभी फिल्मों पर नजर रखने के लिए और इतिहास पर किसी भी गलत बयानी को रोकने के लिए ‘प्री-सेंसर बोर्ड’ का गठन किया जाना चाहिए।

मंगलवार को यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे इस विषय पर अपने परिप्रेक्ष्य और मांग को रखने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास शीघ्र ही जाएंगे। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी आपत्ति कला को लेकर नहीं बल्कि इतिहास के विरूपण को लेकर है।

करणी सेना के संस्थापक लोकेन्द्र सिंह काल्वी ने कहा, ‘‘हम कला के हर रूप के प्रति नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे हैं, या ऐतिहासिक पात्रों एवं घटनाओं पर फिल्म बनाने वाले किसी भी फिल्म निर्माता के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन राजपूत इतिहास की महिमा के साथ छेड़छाड़ पर काफी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। सच को अक्सर धारणा की आत्मीयता से ढक दिया जाता है जो दर्शकों की पीढ़ियों को गुमराह करती है और इतिहास के बारे में गलत जानकारी पेश करते हैं। जब बॉलीवुड की बात आती है, तो ऐसा हाल के दिनों में कई बार हुआ है, जैसे 2008 में बनी फिल्म जोधा अकबर के मामले में हुआ था।’’

अपनी तरह की खास सार्वजनिक नीति की वकालत करते हुए करणी सेना ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सौंपे जाने वाले ज्ञापन में उन्होंने भारत में ऐतिहासिक फिल्मों के फिल्मांकन पर निगरानी रखने के लिए एक ‘प्री- सेंसर बोर्ड’ के रूप में कार्य करने के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल बनाने की मांग की है।

काल्वी ने कहा, ‘‘हमारी राय में, प्री- सेंसर बोर्ड में षामिल विशेषज्ञों को निर्माणाधीन ऐतिहासिक फिल्मों की निगरानी करनी चाहिए। इससे फिल्म बनने के दौरान या बाद में आने वाली जटिलताओं पर काबू पाने में मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा कि दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर अभिनीत निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती ने इतिहास के चित्रण को लेकर बड़ा विवाद पैदा किया है। यह फिल्म वर्ष 1303 में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा राजपूताें पर आक्रमण की कहानी पर आधारित है।

काल्वी ने अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के पात्रों के बीच प्रेम दृश्यों के चित्रण को लेकर सेना की आपत्ति के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘हम राजपूत समुदाय और हमारे पूर्वजों की महिमा की रक्षा के लिए 10 से अधिक वर्षों से काम कर रहे हैं। हमें अपनी विरासत पर गर्व है और हम वैसी किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे जिससे आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचे। सेंसर बोर्ड द्वारा भंसाली की पुष्टि को देखना दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ दिन पहले जब हमने सेंसर बोर्ड के अधिकारियों से मुलाकात की तो उन्होंने हमें बताया कि पूरी फिल्म बन जाने और समीक्षा के लिए हमारे पास आने से पहले कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकती है। हालांकि, मैं व्यक्तिगत रूप से निर्देशक से मिला हूं, जिन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि फिल्म में रणवीर और दीपिका के बीच कोई अंतरंग दृश्य दिखाई नहीं देंगे।’’

पिछले हफ्ते संजय लीला भंसाली प्रोडक्शन की ओर से जारी एक पत्र में, प्रोडक्शन हाउस करणी सेना की कई मांगों से आधिकारिक रूप से सहमत हो गया है।

उन्होंने कहा कि रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के बीच इस फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के रोल में कोई रोमांटिक दृश्य नहीं होना चाहिए। अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच यहां तक कि सपने में भी किसी अंतरंग दृश्य का फिल्मांकन नहीं  किया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि शूटिंग तब तक दोबारा शुरू नहीं की जा सकती है जब तक कि निर्माताओं और करणी सेना के बीच लिखित समझौते नहीं हो जाते हैं और उनके बीच सहमति कायम नहीं हो जाती है।

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