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दो दशक से भाजपा का अजेय दुर्ग है राजकोट पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र, मोदी भी कर चुके हैं प्रतिनिधित्व

राजकोट, 15 नवम्बर : गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित राजकोट औद्योगिक रूप से काफी विकसित है। खेती से जुड़ी मशीनरी और प्लास्टिक के पाइप के काऱखानों की यहां भरमार है। इसके साथ ही इस औद्योगिक नगरी की एक और पहचान है जो गुजरात के सियासी फलक पर राजकोट को महत्वपूर्ण दर्जा दिलाती है, वो है मुख्यमंत्री विजय रूपानी। रूपानी राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक हैं। यहां से वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव लड़ा था। बाद में वह मणिपुर सीट से चुनाव लड़ने चले गए और वजूभाई फिर इस सीट से विधायक चुने गए। यह भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में एक है। यहां से भाजपा के कई अन्य दिग्गज चुनाव जीत चुके हैं। एक समय राजकोट में कांग्रेस की काफी मजबूत पकड़ थी, लेकिन वर्ष 1985 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया। तब से लेकर आज तक इस सीट से भाजपा कभी नहीं हारी है। किंतु, इस सीट पर पटेल मतदाताओं की बड़ी तादाद भाजपा की राह में रोड़ा भी डाल सकती है। पाटीदार आंदोलन के बाद बदले हालात में पटेल समुदाय का रूख इस सीट का भविष्य तय करेगा।

मौजूदा समय में मुख्यमंत्री विजय रूपानी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2014 में हुए उपचुनाव में उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की थी। 2012 विधानसभा चुनाव में इस सीट से वजूभाई रूदाभाई वाला ने कांग्रेस के अतुल रसिकभाई राजानी को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था। किंतु, सितंबर 2014 में कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त होने के बाद वजूभाई वाला ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया। 2002, 2007 और 2012 विधानसभा चुनाव से ही लगातार इस सीट पर वजूभाई जीतते रहे। यह सीट पूरी तरह से भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जाती है।

2017 के विधानसभा चुनाव में राजकोट पश्चिमी सीट पर भाजपा की पकड़ काफी मजबूत दिख रही है। मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र होने के नाते यहां के मतदाता खुलकर भाजपा के पक्ष में मतदान करने की बात स्वीकार रहे। रेसकोर्स रोड पर जनरल स्टोर की दुकान चला रहे जयदेव गुजरात के चुनावी हाल और सौराष्ट्र के मिजाज के बारे में तो खुद को अनजान बताते हैं, पर अपनी विधानसभा के बारे में खुलकर बोलते हैं कि यह सीट पिछले 2 दशक से भाजपा के पास रही है। इस चुनाव में तो रूपानी को भारी बहुमत से जीताकर गांधीनगर भेजेंगे। वहीं, थोड़ी दूर पर मोटर पार्ट की दुकान के मालिक जयभाई का कहना है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद विजय भाई ने यहां और भी बेहतर काम किया है।

हालांकि, राज्य में पाटीदार आंदोलन के बाद स्थितियां कुछ बदली हैं। राजकोट पश्चिमी सीट पर पटेल समाज के मतदाताओं की संख्या तकरीबन 75 हजार बताई जा रही। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक हो सकता है। यह पटेल बिरादरी के मतदाताओं के मूड पर निर्भर करेगा कि इस सीट पर किस का भविष्य सुरक्षित रहेगा।

खैर, राजकोट शहर की सड़कों पर विजय रूपानी की तस्वीर वाले कटआउट और पोस्टर जगह-जगह लगे हैं। इन कटआउट और पोस्टर पर ‘विजय भव’ और ‘राजकोट विजय’ के नारे लिखे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री विजय रूपानी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जीतू बघानी की तस्वीर वाले बड़े-बड़े होर्डिंग भी शहर में दिख रहे हैं। हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को होर्डिंग, पोस्टर पर कहीं जगह नहीं मिली है। बहरहाल, हिन्दी पट्टी के राज्यों की तुलना में यहां होर्डिंग-पोस्टर काफी कम है। इसे चुनाव आयोग की हनक का असर समझिए या ये मानिए कि यहां के लोगों की राजनीति और चुनावी प्रचार में दिलचस्पी कम है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत हिन्दी भाषी राज्यों के बड़े शहरों की तुलना में राजकोट की सड़कों पर साफ-सफाई है। शहर के चारों ओर रिंग रोड है और चौड़े स्टेट व नेशनल हाइवे राजकोट के चारों तरफ से गुजरते हैं। शहर के भीतर सड़कों के किनारे बैठने के लिए सीमेन्टेड बेंच बने हुए हैं। 

राजकोट शहर में चार विधानसभा सीटें हैं। राजकोट पूर्वी, राजकोट पश्चिमी, राजकोट दक्षिणी, राजकोट ग्रामीण। 2012 के विधानसभा चुनाव में राजकोट पूर्वी सीट को छोड़कर शेष तीनों सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। राजकोट पूर्वी सीट कांग्रेस के कब्जे में है। जबकि भाजपा राजकोट पश्चिमी के अलावा इस शहर की दक्षिणी और ग्रामीण सीटों पर काबिज है।  (अजीत पाठक)।

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