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पद्मावत बैन से जुड़ी सभी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, अब पूरे देश में रिलीज होगी फिल्म

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और करणी सेना की याचिका को खारिज करते हुए सरकार से फिर कहा कि वह सुरक्षा की व्यवस्था करे

नई दिल्ली, 23 जनवरी : सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पद्मावत की रिलीज के खिलाफ मध्यप्रदेश, राजस्थान और करणी सेना की याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश में किसी प्रकार का संशोधन करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने राज्यों से कहा कि फिल्म की रिलीज पर सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने कहा कि कुछ संगठनों की धमकी पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म का विरोध करने के लिए अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जब डिस्क्लेमर लगाया गया है तो विरोध क्यों। कोर्ट ने कहा कि क्षत्रिय महासभा से कहा कि आप अपने कार्यकर्ताओं को डिस्क्लेमर के बारे में बताइए। फिल्म ये नहीं कह रहा है कि वो इतिहास बता रहा है। कोर्ट ने राज्यों को उसके आदेश का पालन करने का निर्देश दिया।

राजस्थान और मध्यप्रदेश दोनों राज्यों ने मांग की रखी कि इस फिल्म को रिलीज करने के फैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए क्योंकि इससे कानून-व्यवस्था भंग हो सकती है। मध्यप्रदेश सरकार ने कहा था कि अगर कानून-व्यवस्था की समस्या आती है तो राज्य सरकार को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का अधिकार दिया जाए क्योंकि फिल्म से शांति भंग होने की आशंका है। पहले ही इस संबंध में स्कूल और सिनेमाघर में हिंसा की दो घटनाएं हो चुकी हैं। मध्यप्रदेश ने कहा था कि राज्यों को कानून के तहत ये अधिकार है कि वो ऐसे हालात में फिल्म पर बैन लगा सकते हैं।

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पिछले 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने वकील मनोहर लाल शर्मा की फिल्म याचिका पर ये कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया था कि उसके बारे में सुप्रीम कोर्ट फैसला कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को फिल्म पद्मावत को सभी राज्यों में रिलीज को हरी झंडी दे दी थी। कोर्ट ने कुछ राज्यों द्वारा लगाए गए रोक को निरस्त कर दिया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी सर्वोपरि है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि जब बैंडिट क्वीन रिलीज हो सकती है तो ये फिल्म क्यों नहीं रिलीज हो सकती। जब संसद ने कानूनी तौर पर सेंसर बोर्ड को जिम्मेदारी दी है और बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट दिया है तो कानून-व्यवस्था का हवाला देकर राज्य कैसे फिल्म पर बैन लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्यों की है। (हि.स.)।

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