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पितृ पक्ष 2018: जानें, श्राद्ध की विशेष तिथियां और पूजा विधि, इन बातों का भी रखें ध्यान ,महिलाएं भी कर सकती हैं ….

पटना/एस.एच. चंचल

पितृ पक्ष 24 सितंबर से 9 अक्तूबर तक चलेगा। प्रतिपदा का श्राद्ध मंगलवार यानी 25 सितंबर को किया जाएगा। चतुर्दशी का श्राद्ध 8 अक्तूबर को किया जाएगा जबकि 9 अक्तूबर को अमावस्या का श्राद्ध किया जाएगा। साथ ही स्नान, दान एवं पितृ विसर्जन यमुना घाटों पर किया जाएगा। इन दिनों घर में प्याज, लहसुन, मांस-मंदिरा, दातून, पान, तेल मालिश, गंदगी और शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।

आचार्य विधुशेखर पांडेय ने बताया कि गरुण पुराण के अनुसार जिन माताओं की मृत्यु की तिथि की जानकारी न हो, उनका श्राद्ध मातृ नवमी के दिन किया जाना शुभ माना जाता है। यदि किसी का यज्ञोपवीत होने के पहले ही अकाल मृत्यु हो गई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी के दिन किया जाना चाहिए। जिन पितरों की मृत्यु तिथि का कोई ज्ञान न हो उन सभी का श्राद्ध सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन किया जाना धर्म के अनुसार है।

श्राद्ध के प्रकार

आचार्य डॉ. हरिगोपाल शर्मा का कहना है कि भविष्य पुराण के अनुसार 12 प्रकार के श्राद्ध होते हैं जिनमें से सबके लिए सरल रूप से महालय 15 दिन को पक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध श्रेष्ठ है। महाभारत काल की एक कथा के अनुसार दानवीर कर्ण जब मृत्यु के बाद यमलोक पहुंचे तो दान-पुण्य के फल स्वरूप उन्हें वहां सभी सुख सुविधाएं प्राप्त हुईं। परंतु जल नहीं मिला क्योंकि जीवन में उन्होंने कभी तर्पण नहीं किया था।
यम देव से आज्ञा प्राप्त कर इन्हीं 15 दिनों में धरती पर आकर उन्होंने पुन: श्राद्ध कर्म रीति रिवाज से पूरे किए थे। आचार्य सत्येंद्र अग्निहोत्री का कहना है कि मनुष्यों के लिए तीन ऋण, देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण बताए गए हैं। मनुष्य को चाहिए कि जिन देवताओं ने हम पर कृपा करके मनुष्य जीवन दिया है उनके ऋण को उनकी भक्ति, उपासना करके उतारने का प्रयत्न करें।
बिना खर्च के भी हो सकता है श्राद्ध

श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूवर्क किए गए कार्य से है। आचार्य अजय गौड़ और पंडित शिव नारायण मुद्गल के मुताबिक ब्रह्मपुराण का कथन है कि मनुष्य के पास यदि श्राद्ध करने को कुछ भी न हो तो केवल शाक से ही श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध कर सकता है।

विष्णु पुराण के अनुसार मनुष्य के पास यदि कुछ भी नहीं है तो वन में जाकर अपनी दोनों भुजाओं को उठाकर कह देना चाहिए कि मेरे पास श्राद्ध के योग्य न धन है और न दूसरी वस्तु। अत: मैं अपने पितरों को हृदय से प्रणाम करता हूं, वे मेरी भक्ति से ही तृप्ति लाभ करें

विशेष तिथियां

25 सितंबर को- प्रतिपदा का श्राद्ध
3 अक्तूबर को-मातृ नवमी (माता की मृत्यु की तिथि ज्ञात न होने पर श्राद्ध का विधान)
8 अक्तूबर को-पितृ अमावस्या (मृतक की तिथि ज्ञात न हो)
इसका ध्यान रखें
– पितृ पक्ष में जौ, गेहूं, धान, तिल, मूंग, चना, गाय, भूमि, घी, गुड़, वस्त्र, नमक, सोना या चांदी का दान महादान माना गया है।
– महिलाएं जल अर्पण, श्राद्ध या पंडित को भोजन देते समय बाल खुले न रखें।
– जो पुरुष अपने पितरों को जल अर्पण कर श्राद्ध, पिंडदान या पंडित को भोजन दें वे पान मसाला, तंबाकू, शराब, मांस से दूर रहें।
– परिवार में जिन पूर्वजों की मृत्यु का दिन, तारीख या तिथि पता न हो, उनकी और अकाल मृत्यु प्राप्त करने वाले पूर्वजों का श्राद्ध कर्म अमावस्या औरपूर्णिमा के दिन कर सकते हैं।
– जल अर्पण के साथ भोजन में काले तिल का उपयोग अवश्य करें। पंडित को साफ आसन पर मौन होकर भोजन परोसें। मेज-कुर्सी का उपयोग न करें।

महिलाएं भी कर सकती हैं श्राद्ध

जिनके घर में पुत्र, नाती या पोता नहीं है, या फिर घर में ऐसी परिस्थिति है कि पुत्र और नाती-पोते साथ नहीं हैं, उन घरों में महिलाएं भी अपने ससुराल व मायके पक्ष के पितरों का श्राद्ध कर्म कर सकती हैं।

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