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बाल दिवस पर हिन्दी संस्थान ने पांच बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया

लखनऊ, 14 नवम्बर (हि.स.)। बाल दिवस के अवसर पर हिन्दी संस्थान ने मंगलवार को पांच बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया। संस्थान के यशपाल सभागार में अभिनन्दन पर्व-2016 एवं सरस काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि बड़ों को बच्चा बनकर लिखना पड़ता है। बाल साहित्यकारों द्वारा खेल-खेल में सारी बातें बता दी जाएं जो बच्चों के काम आ सकें। द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी सहित अनेक साहित्यकारों ने बाल साहित्य के संवर्द्धन महत्वपूर्ण योगदान दिया। बाल साहित्य लेखन से कम नहीं होता है।

हिन्दी संस्थान के निदेशक शिशिर ने कहा कि हमारे संस्थान ने बाल साहित्य के संवर्द्धन और उन्नयन की अनेक योजनाएं प्रारम्भ की हैं, जिनके अन्तर्गत बाल साहित्य लेखकों को प्रोत्साहित करने की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। यह निर्विवाद है कि यदि बाल साहित्यकारों को समुचित प्रोत्साहन मिले तो बाल साहित्य की विविध विधाओं में प्रचुर लेखन हो सकेगा और बच्चों को सुरुचिपूर्ण साहित्य भी सरलतापूर्वक मिल सकेगा। 

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उन्होंने कहा कि संस्थान के इस लक्ष्य के अन्तर्गत बाल साहित्य सृजन और प्रकाशन योजनाओं को कार्यरूप में परिणित किया जाता है। उन्होंने आवश्यकता जताई कि सभी भारतीय भाषाओं के बाल साहित्य के रचनाकारों के समारोह भी समय-समय पर आयोजित किये जाएं, ताकि पारस्परिक विचार-विमर्श का मंच उपलब्ध हो और अखिल भारतीय स्तर पर बाल साहित्य की अभिवृद्धि के लिए व्यापक प्रयास संभव हो सकें। इस दिशा में संस्थान प्रयत्नशील है। भविष्य में ऐसे आयोजन लखनऊ में कराये जाने की योजना है।

इस अवसर पर अभिनन्दित बाल साहित्यकारों को उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र व इक्यावन हजार की धनराशि भेंट कर सम्मानित किया गया जिनमें सुभद्रा कुमारी चौहान महिला बाल साहित्य सम्मान से नीलम राकेश, सोहन लाल द्विवेदी बाल कविता सम्मान से सुन्दरलाल ‘अरुणेष‘, अमृत लाल नागर बाल कथा सम्मान से डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि‘, रामकुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान से अंशुमान खरे एवं जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखन सम्मान से अलका प्रमोद को सम्मानित किया गया।

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