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महाराष्ट्र के इस गांव की अजीब परंपरा,होली में दामाद को गधे पर बैठाकर ढोल-नगाड़ों के साथ निकालते हैं जुलूस

मुंबई,02 मार्च : देशभर में होली का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन महाराष्ट्र में बीड जिले के विडा गांव में एक अजीब परंपरा चली आ रही है.इस गांव में होली के त्योहार को कुछ अलग ही ढंग से मनाया जाता है। चली आरही इस परंपरा के तहत गधे को पूरी तरह सजाकर दामाद को गधे पर बैठाकर ढोल ,नगाड़े के साथ जुलुस निकाल कर पूरे गांव में घुमाया जाता है।

देखा जाय तो भारत एक ऐसा देश है जिस देश में दामादों को काफी सम्मान दिया जाता है. लेकिन होली के मौके पर महाराष्ट्र के बीड़ जिले के वीडा गांव में होली का त्यौहार दामादों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। लड़की के परिवार वालों के लिए दामाद से बदला लेने का यह एक शानदार मौका होता है। परंपरा के अनुसार होली के दिन यहां दामाद को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा जाता.सदियों से चली आरही इस परंपरा को देखते हुए दामाद भी इसे बुरा नहीं मानते है .

75 साल पहले शुरू हुई यह परंपरा …

गांव के बुजुर्गों की माने तो दामाद को गधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाने  की यह पंरपरा करीब  75 साल पहले शुरू हुई। प्रत्येक साल गधे की सवारी (इस सम्मान ) के लिए गांव के नए दामाद का चयन किया जाता है। इस परंपरा के लिए चुने गए दामाद का जुलुस निकालने के बाद उन्हें हनुमान मंदिर में  नए कपड़े और सोने की अंगूठी दी जाती है।  

 इस परंपरा को लेकर यहां तक कहा जाता है की इसकी जड़ें निजाम काल से जुड़ी हुई हैं। बताते है यह परंपरा की शुरुवात तब हुई जब चिंचोली गांव के जहांगिरदार ठाकुर आनंदराव अपने ससुराल देशमुख वीडा आए. आनंदराव की उनकी सास के साथ कुछ कहासुनी हो गई और इस वजह से उन्हें गधे पर बिठाकर पूरे गांव का चक्कर लगवाया गया और तभी से इस गांव में इस पंरपरा की शुरुवात हो गई । कोई कहता है की निजाम के जमाने में गांव के ठाकुर आनंदराव देशमुख ने मजाक मे जमाई का गधे पर जुलूस निकाला था, तब से लेकर आज तक यह प्रथा चली आ रही है।

इस परंपरा में जाति और धर्म का नहीं है कोई बंधन……

बताया जाता है कि इस गांव में हिंदू, बौद्ध और मुस्लिम सभी धर्म के लोग रहते है. अब सभी लोग जाति, धर्म को भूलकर इस परंपरा में भाग लेते है और  होली के इस त्योंहार में सभी धर्म के जमाई शामिल होते है. हर साल अलग-अलग धर्म के जमाई को हम गधे पर बिठाते है । जुलुस के दौरान बैंड बाजे और रंगों का जमकर इस्तेमाल होता है.

होली का त्योहार करीब आते ही दुसरे गांव में रहने चले जाते है दामाद .

 परंपरा के तहत होली के दिन इस गांव के जमाई को गधे पर बिठाकर पूरे गांव में उसका जुलूस निकाला जाता है।लेकिन समय के साथ इस गांव के दामाद आब दुरी बनाने लगे या यु कहे की इस परंपरा से बचने लगे है .जिसके कारण चली आरही इस परंपरा को देखते हुए होली का त्योहार जैसे करीब आता है सभी गांव के दामाद गांव को छोड़कर दूसरे गांवों में रहने के लिए चले जाते हैं। इसलिए होली मनाने के लिए एक भी जमाई यहां नहीं आता।

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गांव में है करीब 100 दामाद  ,त्यौहार पर जिन्हें ढूंढने में लगते हैं कई दिन 

बताय जाता है की वीडा गांव की आबादी करीब  6 हजार के आस पास  है। इस गांव में लगभग 100 दामाद  हैं , लेकिन होली के 8-10 पहले ही सभी गांव छोड़कर भाग जाते हैं. उन्हें ढूंढने की जिम्मेदारी गांव के यंग ब्रिगेड पर होती है. करीब  8 दिन पहले ही सभी युवा अपनी-अपनी टीम बनाकर उन्हें ढूंढने के लिए निकलते हैं। इनमें  से तीन-चार दामाद  को गधे पर बैठने के लिए राजी किया जाता है. इसमें  सबसे पहले गांव के नए दामाद  को गधे पर बैठने का मान दिया जाता है।

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