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मानवता को शर्मशार करने वाली मुजफ्फरपुर की घटना, मिलेगा कठोरतम दंड : राज्यपाल

पटना, 04 अगस्त (हि.स.)। बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आज यहां कहा कि महिलाओं को अपने विरुद्ध होने वाले-उत्पीड़न का खुलकर प्रतिकार करने और महाभारत की द्रौपदी से शिक्षा ग्रहण करने की सीख दी, जिन्होंने अपने विरुद्ध कौरवों के अपमान का बदला उनका सर्वनाश कर लिया था। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने कार्यक्षेत्र में बदनिगाही को बिल्कुल ही बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। उन्हें अपने विरुद्ध अपमान की बातों को अपनी सहकर्मी महिला-मित्रों से जरूर साझा करना चाहिए और गलत निगाह रखने वाले के खिलाफ अपने भरपूर गुस्से का इजहार कर उसे दंडित कराना चाहिए। उन्होंने मुजफ्फरपुर बालिका गृृह यौन-शोषण मामले की जांच सीबीआई द्वारा कराये जाने के राज्य सरकार के निर्णय की प्रशंसा की और विश्वास व्यक्त किया कि मानवता को शर्मशार करने वाली इस घटना में शामिल प्रत्येक अपराधी को कठोरतम दंड मिलेगा।

यह उद्गार मलिक ने राजभवन में महिला विकास निगम, जेन्डर रिसोर्स सेन्टर और समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘जेन्डर उन्मुखीकरण’ से संबंधित आयोजित एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि दुनियाँ का कोई भी समाज तबतक सभ्य और सुसंस्कृत नहीं कहा जायेगा, जबतक वह महिलाओं को सम्मान, सुरक्षा और समानता की गारंटी नहीं देता। नारी-उत्पीड़न के मसले का हल केवल कानून बनाने मात्र से ही संभव नहीं, बल्कि इसके लिए व्यक्ति को अपने नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत है, अपनी सोच में नारियों के प्रति बराबरी और आदर का भाव समाहित करना जरूरी है। 

राज्यपाल ने कहा कि अपने दायित्वों के प्रति ईमानदारी तथा कार्य के प्रति निष्ठा महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा होती है। महिलाएँ बाह्य दबाव या लालच में कम फंसती हैं, भ्रष्टाचार के मामलों में उनकी काफी कम संलिप्तता पायी जाती है, जबकि पुरुष आसानी से इसमें फंस जाते हैं। आज महिलाओं में पुरुषों की तुलना में किसी भी रूप में कार्य-क्षमता की बिल्कुल ही कमी नही है। वे ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर रही हैं। महिलाएं खेलकूद-कुश्ती, तीरंदाजी आदि में तो पुरुषों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन कर ही रही हैं। पर्वतारोहण, वायुयान-परिचालन आदि क्षेत्रों में भी उनकी प्रतिभा का प्रसार नजर आता है।

राज्यपाल ने कहा कि मेरा यह सामाजिक अनुभव है कि मां-बाप के लिए आज बेटों से ज्यादा बेटियां ही मददगार साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कन्या-भ्रूण-हत्या तो एक जघन्य अपराध है, जिसपर हर हालत में नियंत्रण पाया जाना चाहिए। कई जगह महिलाओं के विरुद्ध होने वाले उत्पीड़न में महिलाएँ भी शामिल नजर आती हैं। उन्होंने दहेज-हत्याओं को एक जघन्य मानवीय अपराध बताते हुए कहा कि अपने घर आयी दुल्हन को जलाकर राख करने वाले बहशी परिवार को तो कठोर-से-कठोर सजा मिलनी ही चाहिए। 

राज्यपाल मलिक ने कहा कि महिला विकास निगम को विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भी ‘जेन्डर उन्मुखीकरण’ पर कार्यशालाएं आयोजित करनी चाहिए। उन्होंने महिला विकास निगम के कार्यों की सराहना की और नारी-सशक्तीकरण के लिए और सघन अभियान चलाने का सुझाव दिया।

कार्यक्रम में नेशनल इंस्टीच्यूट आॅफ फाइनेन्सियल मैनेजमेन्ट की डा. शिखा माथुर ने ‘जेन्डर बजटिंग’ के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। ‘जेन्डर रिसोर्स सेन्टर’ के मुख्य सलाहकार आनंद माधव ने जेंडर आधारित महत्त्वपूर्ण चुनौतियों, नीतियों और सेवाओं के सुदृृढ़ीकरण, ग्राम-पंचायतों एवं शहरी निगम क्षेत्र में जेंडर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और क्षमता-विकास, हितकारकों के बीच जेंडर आधारित न्यायोचित सोच विकसित करने आदि बातों की विस्तार से जानकारी दी।

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