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मुफलिसी का जीवन गुजार रहे बुनकर परिवार

फतेहपुर, 19 जनवरी (हि.स.)। बुनकर परिवारों को केन्द्र व राज्य सरकार से सब्सिडी मिलने पर भी धीरे-धीरे यह उधोग बंद होने की कगार पर है। इस व्यवसाय से जुड़े परिवार मुफलिसी का जीवन गुजारने के कारण इस रोजगार से दूरी बना रहे हैं। 

बुनकर और बुनकारी के विकास के लिए सरकारी स्तर पर कई योजनाएं क्रियान्वित होती हैं। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार सब्सिडी भी दे रही है। इसके बावजूद इनके हालात सुधरना तो दूर स्थिति बदतर होती जा रही है। बेंती सादात गांव के बुनकर रामबली बताते हैं कि 30 साल पहले उनका तैयार माल यूपी हैंडलूम व यूपिका द्वारा खरीदा जाता था, तो व्यवसाय में आमदनी थी। लेकिन अब बिक्री का सही स्थान न होने से घर का खर्च निकालना मुश्किल है। उनके गांव के अलावा मोहलिया, आसिकपुर, औरइया, मुत्तौर गांव में सूत कातने वस्त्र तैयार करने का काम होता था। लेकिन अब यह काम उनके गांव में ही बचा है। चूंकि समय-समय पर बुनकरों को सरकारी योजनाओं से नहीं जोड़ा गया है। 

सरकार की नीति के अनुसार बुनकरों के लिए प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह हथकरघा उद्योग विकास योजना के तहत हथकरघा क्षेत्र में बुनकर सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों, उद्यमियों व्यक्तिगत बुनकरों व अशासकीय संस्थाओं के बुनकरों को आत्मनिर्भर बनाना, ग्रामोद्योग उत्पादों को बाजार योग्य बनाने के लिए तकनीक देना, विपणन एवं कार्यशील पूंजी हेतु सहायता प्रदान करें, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा नजर नहीं आता। 

उधर जिलाधिकारी कुमार प्रशांत ने बताया कि जनपद के बुनकरों के लिए योजना तैयार की जा रही है। बेंती सादात गांव प्रकाश में आया है। यहां दो सौ बुनकर हैंडलूम के व्यवसाय से जुड़े हैं। फिलहाल इनके द्वारा तैयार माल की बिक्री के लिए विकास भवन स्थित यूपिका शोरूम में माल बिक्री का निर्धारण कराया जाएगा। 

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