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यूपी में शराब बन्दी लागू करवाने को आधी आबादी का संघर्ष जारी

लखनऊ, 06 अप्रैल =  सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य मार्गों से 500 मीटर तक शराब की दुकानें बन्द करने के आदेश के बाद प्रदेश में आधी आबादी द्वारा पूरी तरह से शराब बन्दी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है।

इन महिलाओं ने जगह-जगह लाठी डण्डों के साथ शराब के ठेके बन्द कराने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। कहीं तोड़फोड़ तो कहीं भजन कीर्तन के जरिए विरोध किया जा रहा है। राजधानी लखनऊ सहित आगरा, कानपुर, संभल, मुरादाबाद, बागपत और सहारनपुर सहित कई शहरों में महिलाएं शराब के ठेके बन्द कराने के लिए अड़ गई है।

गाजीपुर के जमानिया थाना इलाके के जमानिया कस्बे के चौधरी मोहल्ले में शराब की कुछ दुकाने पहले से ही रिहायशी इलाकों में है। अब हाईवे किनारे की दुकानें भी यहां शिफ्ट किये जाने से नाराज महिलाओं ने लामबन्द होकर ठेकों पर हमला कर दिया। महिलाओं ने दुकानों में रखी शराब की बोतलों को बाहर निकालकर तोड़फोड़ कर दी और उसके बाद दुकान में आग भी लगा दी।

कानपुर में महिलाओं ने मोर्चा संभालते हुए शराब की दुकान बन्द कराने के लिए बाकायदा ढोल-मंजीरे के साथ विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं ने कहा कि आबादी में शराब की दुकान खुलने पर इसका बच्चों और यहां के माहौल पर गलत असर पड़ेगा।

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बलिया में सदर कोतवाली के गौशाला रोड पर महिलाओं ने शराब के ठेके पर तोड़फोड़ और आगजनी की। बागपत में भी महिलाओं ने शराब के ठेके पर महिलाओं ने विरोध में हंगामा किया। महिलाओं ने सेल्समैन की डण्डों से जमकर पिटाई की। मैनपुरी के थाना दन्नाहार के लालपुर सगौनी में महिलाओं ने शराब के ठेके की गुमटी जलाने के बाद मौके पर पहुंचे ठेकेदार को भी लाठी डण्डों से पीट दिया। मुरादाबाद में प्राचीन दुर्गा मन्दिर के पास शराब की दुकान को हटाने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए।

फर्रुखाबाद में देशी शराब के ठेके को बन्द करने के लिए महिलाओं ने बेवर रोड पर जाम लगाया। इसके साथ ही अम्बेडकरनगर के अकबरपुर कोतवाली के मिर्जापुर गांव में भी शराब की दुकान में ग्रामीणों ने तोड़फोड़ की। वहीं हमीरपुर जनपद के भरूआ सुमेरपुर मे बस्ती के बीच खुल रही शराब की दुकानों का विरोध करते हुए महिलाओं ने जमकर हंगामा काटा। उन्होंने दुकानों के बोर्ड नालियों मे फेंककर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ में तो शराबबन्दी की मांग को महिलाएं सीएम आवास तक कूच करने की कोशिश कर चुकी हैं।

यह घटनाएं बानगी मात्र हैं, प्रदेश भर से शराबबन्दी की मांग को लेकर इस तरह के विरोध प्रदर्शन की घटनायं सामने आ रही हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, जो समूहों में अभियान चला रही हैं। कई जगह इन्हें अन्य स्थानीय लोगों का भी समर्थन मिल रहा है।

एनसीआरबी के आंकड़ें बताते हैं कि साल 2015 में देश में 4.2 प्रतिशत हादसे शराब के कारण हुए। दरअसल शराबबन्दी के पक्ष में मुहिम चला रही महिलालाओं की दलील है कि शराब की वजह से घरेलू हिंसा होती है, जिसका सबसे ज्यादा शिकार वह होती हैं और इससे बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है। वहीं घटिया शराब से हर साल हजारों मौतें होती है। बड़ी संख्या में औरतें बेवा हो रही हैं। शराब से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और शराबबन्दी से ब्लैकमनी अपराध बढ़ते हैं। इसलिए यह बन्द होनी चाहिए। देखना है कि महिलाओं की प्रदेश भर में हो रही ऐसी कोशिशों पर प्रदेश सरकार क्या निर्णय लेती है।

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