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राज्यसभा चुनाव : मायावती का खेल खराब करेगी बीजेपी

लखनऊ (ईएमएस)। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के लिए 23 मार्च को चुनाव होने हैं। मायावती और अखिलेश यादव के साथ हो जाने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। विधायकों की संख्या के आधार पर बीजेपी आठ नेताओं को आसानी से राज्यसभा भेज सकती है। समाजवादी पार्टी अपने कोटे से एक सांसद को चुन सकती है। दसवीं सीट पर बीएसपी के खिलाफ अगर बीजेपी ने भी उम्मीदवार उतार दिया तो फिर कांटे की टक्कर हो सकती है। उत्तर प्रदेश विधान सभा में कुल 403 विधायक हैं। बीजेपी के एमएलए लोकेन्द्र चौहान की हाल ही में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इस हिसाब से 402 विधायकों के ही वोट पड़ेंगे। बीजेपी के पास 324 एमएलए हैं। राज्यसभा का सांसद बनने के लिए 37 विधायकों के वोट की जरुरत है। इस गणित से बीजेपी के आठ सांसद आसानी से चुने जाएंगे।

इसके बाद भी पार्टी के पास 28 वोट बच जाएंगे। समाजवादी पार्टी के 47 विधायक हैं। एक एमपी चुने जाने के बाद पार्टी के पास 10 एमएलए बच जाएंगे। बीएसपी के 19 विधायक हैं। अब इतने एमएलए लेकर मायावती क्या करेंगी? बहनजी का दावा है कि समाजवादी पार्टी व कांग्रेस उनका समर्थन करेगी। कांग्रेस के सात एमएलए हैं। इन सबको जोड़ कर संख्या 36 हो जाती है। राष्ट्रीय लोकदल के पास भी एक विधायक है एवं उसने भी एसपी और बीएसपी के साझा उम्मीदवार को समर्थन देने का मन बनाया है। ऐसे हालात में बहनजी के उम्मीदवार को 37 वोट मिल जाएंगे। लेकिन विधायकों का यह गणित सुलझा हुआ नहीं है।

इसमें कई पेंच हैं। वैसे तो अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव अभी समाजवादी पार्टी में ही हैं। लेकिन राज्यसभा चुनाव में शिवपाल और उनके समर्थक क्या करेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। दो-चार भी इधर-उधर हुए तो खेल खराब हो सकता है। इसीलिए मायवती ने खुद के बदले किसी और नेता को राज्यसभा भेजने का मन बनाया है। बीच में उनके भाई और बीएसपी के उपाध्यक्ष आनंद कुमार की भी चर्चा हुई थी। लेकिन अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि बहनजी किसी और नेता पर दांव लगा सकती हैं। बाहुबली नेता राजा भैया उर्फ़ रघुराज प्रताप सिंह भी निर्दलीय चुनाव जीते हैं। उनके सहयोगी विनोद सरोज भी प्रतापगढ़ के बाबागंज से निर्दलीय जीते हैं। राजा भैया के लिए अखिलेश यादव कभी भी पहली पसंद नहीं रहे। इस हिसाब से दो और वोट बीजेपी को मिल सकते हैं। महाराजगंज से एक और बाहुबली नेता अमनमणि त्रिपाठी निर्दलीय विधायक हैं।

वह जेल में बंद बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे हैं। अमनमणि इन दिनों योगी आदित्यनाथ के आगे पीछे घूमते हैं। उनका वोट भी बीजेपी को मिलना तय है। राष्ट्रीय निषाद पार्टी के टिकट पर विजय मिश्रा भदोही से चुनाव जीते है। इसी पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे को समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर से लोकसभा उपचुनाव में टिकट दिया है। लेकिन विजय अगर बीजेपी के साथ खड़े हो जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं। इससे पहले भी राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव में बीजेपी अतिरिक्त उम्मीदवार उतारती रही है। 2016 के राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार प्रीती महापात्र का बीजेपी ने समर्थन कर दिया था। तब कांग्रेस के कपिल सिब्बल को चुनाव जीतने में पसीने छूट गए थे। अगर इस बार भी बीजेपी ने नौवां उम्मीदवार दे दिया तो फिर विपक्ष के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

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