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राष्ट्रीय राजमार्ग 74 घोटाले का तथाकथित मास्टर माइंड गिरफ्तार

देहरादून, 14 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय राजमार्ग घोटाला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस मामले में अब तक आधा दर्जन से अधिक उच्चाधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं और कई अन्यों पर गाज गिरनी है। इसी संदर्भ में जांच एजेंसियों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। इनमें मामले के मास्टर माइंड बताए जा रहे सितारगंज एसडीएम कार्यालय के राजस्व अहलमद संतराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
जानकार सूत्रों के अनुसार 2011-12 की फर्जी 143 की सात फाइलों में भारी हेरफेर किया गया था। कथित रूप से अहलमद संतराम इस घटनाक्रम के मुख्य आरोपी हैं। यह मुकदमा 19 मार्च को दर्ज कराया गया था।

जिसमें लगभग 3 हजार करोड़ से अधिक का घोटाला आंका गया है,लेकिन इस संदर्भ में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने राज्य में लगभग 240 करोड़ रुपए के जमीन अधिग्रहण घोटाले का खुलासा किया था। घोटाले में संलिप्त पाए जाने के लिए सरकार ने राज्य के क्ड लेवल के सात अधिकारियों को सस्पेंड कर दिये गए हैं और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। उधम सिंह नगर जिले में एनएच 74 बनाने के लिए के लिए खेती की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। जिसमे जांच के दौरान इस मांमले में अनियमितता पाई गई थी।

जांच के घेरे में आई जमीन उधम सिंह नगर जिले के जसपुर, काशीपुर, बाजपुर और सितारगंज में है। हेरफेर की रकम का आंकड़ा अभी और बढ़ेगा। अभी सिर्फ 18 मामलों की ही जांच की गई है। घोटाले में राजनीतिक दलों के शामिल होने के सवाल पर रावत ने कहा कि यह जांच का विषय है और कुछ भी कहना अभी बेहद जल्दबाजी होगा। हालांकि सीएम ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो भी दोषी पाया जाएगा, फि र चाहे वह राजनीतिक रूप से कितना ही शक्तिशाली क्यों न होए उसे बख्शा नहीं जाएगा।

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आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के नगीना-काशीपुर खंड के उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में 2,535.54 करोड़ रुपये की लागत से चार लेन के विकास को मंजूरी दे दी है। यह काम राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना चरण 4 के तहत होगा। अनुमोदन इंजीनियरिंग, प्रोक्योर्मेंट एंड कंस्ट्रक्शन आधार में है। यह परियोजना उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में नगीना और काशीपुर क्षेत्र में आती है। लागत में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास और अन्य पूर्व निर्माण गतिविधियों की लागत शामिल है सड़क की कुल लंबाई लगभग 99 किलोमीटर होगी।

परियोजना का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बुनियादी ढांचे में सुधार की सुविधा है जिससे यातायात के लिए यात्रा की समय.लागत और लागत को कम करने में भी मदद मिलेगी। सीसीईए बैठक के बाद जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों राज्यों के संबंधित क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के उत्थान में भी मदद मिलेगी और स्थानीय गतिविधियों के लिए रोजगार की क्षमता में भी वृद्धि होगी।

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