Home Sliderखबरेदेशनई दिल्ली

श्रेणी सुधार परीक्षा देने के बाद भी ऑरिजनल मार्कशीट के अंक मान्य: हाईकोर्ट

नई दिल्ली (ईएमएस)। कैंडिडेट के इम्प्रूवमेंट एग्जाम देने के बाद भी उसकी ऑरिजनल मार्कशीट या रिजल्ट में दिए गए मार्क्स पूरी तरह मान्य रहते हैं। सीबीएसई बायलॉज के तहत इस नीति को यूनिवर्सिटी में एडमिशन से जुड़े हर नियम से ऊपर बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया है। कहा है कि वह उस स्टूडेंट के एडमिशन को बहाल करे, जिसका बीटेक प्रोग्राम में एडमिशन उसने इम्प्रूवमेंट एग्जाम के रिजल्ट के आधार पर रद्द कर दिया था। जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने निखिल शर्मा की याचिका को मंजूरी देते हुए यह फैसला सुनाया। वह इम्प्रूवमेंट एग्जाम में एक सब्जेक्ट में फेल हो गए थे।

इसी वजह से गुरु गोविंद सिंह यूनिवर्सिटी ने उनके बीटेक (ईईई) में एडमिशन को कैंसल कर दिया था। बेंच ने कहा कि सीबीएसई के बायलॉज को देखने से पता चलता है कि ऐसी स्थिति में जहां एक कैंडिडेट इम्प्रूवमेंट एग्जाम दे रहा हो, ऑरिजनल मार्कशीट या रिजल्ट के मार्क्स मान्य रहते हैं। यूनिवर्सिटी का काम सिर्फ सीबीएसई की ओर से दिए गए रिजल्ट की जांच करना है, क्योंकि सिर्फ सीबीएसई ही रिजल्ट के आधार पर क्वॉलिफाइंग एग्जाम करवाता है। यूनिवर्सिटी का काम सिर्फ यह तय करना है कि क्या एक कैंडिडेट उसके एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा कर रहा है या नहीं। जस्टिस पल्ली ने कहा कि किसी भी यूनिवर्सिटी को सीबीएसई से जारी मार्कशीट या क्वॉलिफाइंग एग्जाम कराने वाले किसी भी बोर्ड के रिजल्ट से पीछे हटने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस स्थिति में सीबीएसई के मुताबिक, निखिल की दोनों मार्कशीट वैध हैं। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी की इस दलील को ठुकरा दिया कि उसने स्टूडेंट को इस बारे में पहले ही बता दिया था कि सिर्फ इम्प्रूवमेंट एग्जाम के रिजल्ट को ही माना जाएगा, क्योंकि यह एडमिशन ब्रोशर का हिस्सा है।

इसके बाद ही याचिकाकर्ता ने एडमिशन के लिए अप्लाई किया था। कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता की इस दलील में दम है कि ऐसा निर्देश सीबीएसई के इम्प्रूवमेंट एग्जाम कराने की पॉलिसी के खिलाफ है। इस आधार पर अदालत ने यूनिवर्सिटी के संबंधित निर्देश को अवैध और मनमाना बताते हुए रद्द कर दिया। 

Related Articles

Back to top button
Close