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50 देशों की बौद्धिकता सूची में 44 वें स्थान पर भारत

मुंबई, 8 फरवरी (हि.स.)। यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत ने अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (आईपी) सूचकांक में 50 देशों में से 44 वें स्थान पर काबिज होने में सफलता पाई है। ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर द्वारा तैयार की गई वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का कुल स्कोर 25% की दर से बढा है। छठें संस्करण की इस बौद्धिक संपदा की रिपोर्ट में भारत को 30 फीसदी अंक (40 अंक में से 12.03 अंक) मिले हैं। पांचवें संस्करण के सूचकांक में पिछले साल भारत को 35 अंक में से 8.75 अंक प्राप्त हुए थे।

बता दें कि यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर (जीआईपीसी) की जो रिपोर्ट तैयार की गई है, उसमें इस बार सुधार के बावजूद, भारत को अभी भी लंबा सफर तय करना होगा। यह बौद्धिक क्षमता वाले देशों की सूची में अंतिम पायदान पर ही है। पिछले साल, इस इंडेक्स में भारत 45 देशों में 43 वें स्थान पर था, जबकि इस साल 50 देशों में से भारत को 44 वां स्थान मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नए संकेतकों में भारत की रैंकिंग में आए इस सुधार से अपेक्षाकृत मजबूत प्रदर्शन को दर्शाता ह। कंप्यूटर-इम्प्लीमेंटेड इन्वेंसन्स (सीआईआई) के साथ ही बेहतर रिजल्ट पाने की दिशा में पंजीकरण प्रक्रियाओं में सुधार के स्तर को इंगित कर रही है।

इस सूची में अमेरिका 37.98 अंकों के साथ सबसे ऊपर काबिज है। उसके बाद यूनाइटेड किंगडम (37.97 अंक) के साथ दूसरे और स्वीडन (37.03 अंक) के साथ तीसरे पायदान पर काबिज है। इससे पहले जुलाई 2017 में प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया था कि कम्प्यूटर-संबंधित आविष्कारों की परीक्षा के लिए जारी किए गए दिशानिर्देश के बाद भारत में तकनीकी नवाचारों और उसकी पेटेंटिबिलिटी में काफी सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने बौद्धिक संपदा (आईपी) आए संबंधित जागरूकता कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और सरकारी एजेंसियों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए हैं।

सरकार ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकार नीति को प्रमुखता से लागू करने का प्रयास किया है। हालांकि, इस सूची में भारत का यह स्कोर देखकर सुझाव दिया गया है कि भविष्य में सरकार को बौद्धिक क्षमता के विकास की दिशा में अर्थपूर्ण सुधारों की आवश्यकता पर जोर देना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि आईपी अधिकार और बौद्धिक संपदाधारकों के लिए भविष्य में बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल का सामना करना पड़ सकता है। भारत को अपने बौद्धिक संपदा (आईपी) के अधिकारों के महत्व और उसके रचनाकारों और नवोन्मेषकों के प्रति सम्मान की भावना पैदा करनी होगी और देश मे इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने और दीर्घकालिक एवं स्पष्ट प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करना होगा। भारत को एक लंबा रास्ता तय करना है।

रिपोर्ट में प्रमुख रूप से भारत को जीव विज्ञान से संबंधित आईपी के संरक्षण के लिए ठोस रूपरेखा तैयार करने, अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत पेटेंटिबिलिटी आवश्यकताओं को पूरा करने, इससे संबंधित किसी भी आवेदन या प्रस्ताव को मंजूर करने की लंबी व उबाऊ जटिल प्रक्रिया को समाप्त करने, वाणिज्यिक और गैर-अस्थायी स्थितियों के लिए अनिवार्य लाइसेंस को जारी करने में होने वाले विलंब को दूर करने,अंतरराष्ट्रीय आईपी संधियों में सीमित भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय पीपीएच (पेटेंट अभियोजन राजमार्ग) को पटरी पर लाने का भी सुझाव दिया गया है। इसमें भारत की ओर से कोई भागीदारी नहीं है।

हालांकि भारत ने तकनीकी नवाचारों के लिए पेटेंटिबिलिटी तन्त्र को मजबूत करने के लिए दिशानिर्देशों को पारित किया है। इसके बावजूद घरेलू, नवाचार को प्रोत्साहित करने, विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने और नवाचार की पहुंच में सुधार करने के लिए अतिरिक्त, अर्थपूर्ण सुधारों की अभी भी आवश्यकता बताई गई है। बता दें कि इस रिपोर्ट में 50 विश्व अर्थव्यवस्थाओं के आधार पर बौद्धिक संपदा (आईपी) का विश्लेषण किया गया है। इसके तहत पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और ट्रेड सीक्रेट सुरक्षा, नवाचार के विकास के लिए बेंचमार्क गतिविधियों समेत 40 संकेतक शामिल किए गए हैं। 

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