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वित्तमंत्री तथ्यों को घुमाने के बजाय सीधे जवाब दें : सुरजेवाला

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता एवं प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बैंक डिफॉल्टर्स के मुद्दे पर कांग्रेस पर लोगों को भ्रमित करने का आरोप लगाने पर कहा है कि सरकार सीधे-सीधे सवालों के जवाब क्यों नहीं देती।

उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री को तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने के बजाय स्पष्ट जवाब देना चाहिए। वैसे भी जो तथ्य इस वक्त सामने आए हैं वो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की जानकारी पर आधारित हैं, तो भी कांग्रेस कैसे लोगों को भ्रमित कर रही है।

कांग्रेस नेता ने बुधवार को कहा कि बड़े बैंक डिफॉल्टरों के नाम उजागर करने के लेकर राहुल गांधी ने संसद में सवाल किया था, तब तो आप सच छुपाने में लगे थ। अब जब आरटीआई के जरिए इसका जवाब सबके समक्ष है तो उस पर कांग्रेस को भ्रम फैलाने का दोषी बताया जा रहा है।

इस दौरान सुरजेवाला ने ट्वीट कर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से चार सवाल पूछे हैं, जिसके बिना तथ्यों को तोड़े-मरोड़े सीधे जवाब दिए जाने की मांग की है। उन्होंने पूछा कि क्यों मोदी सरकार ने 2014-15 और 2019-20 के बीच 6,66,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण को बट्टा खाते में डाल दिया? दूसरा, आरटीआई के सवाल पर आया आरबीआई का जवाब कि 24 अप्रैल, 2020 के 68,607 करोड़ रुपये के बैंक ऋणों राइट ऑफ किया गया, यह गलत है या सही? तीसरा, मोदी सरकार नीरव मोदी + मेहुल चोकसी (8,048 करोड़), जतिन मेहता (6,038 करोड़), माल्या (1,943 करोड़) और अन्य ऋण धारकों को राइट ऑफ (बट्टा खाता) क्यों कर रही है? और आखिरी, डिफॉल्टरों के बैंक ऋणों के इतने बड़े राइट ऑफ की अनुमति किसने और क्यों दी? उन्होंने कहा तंज कसते हुए कहा कि निर्मला जी 6,66,000 करोड़े के कर्ज राइट ऑफ को ‘सिस्टम की सफ़ाई’ नहीं, बैंक में जमा ‘जनता की गाढ़ी कमाई की सफाई’ कहते हैं।

उल्लेखनीय है कि बीते दिन आरबीआई द्वारा देश के बड़े विलफुल डिफॉल्टरों के 68 हजार करोड़ रुपये से अधिक के ऋण को बट्टे खाते में डालने की खबर के बाद कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच जुबानी जंग जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला द्वारा सरकार को घेरने के बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार का बचाव करते हुए कांग्रेस पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “कांग्रेस और राहुल गांधी को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्यों वे वित्तीय प्रणाली को साफ करने में नाकाम रहे। कांग्रेस ने न तो सत्ता में और न ही विपक्ष में रहते हुए भ्रष्टाचार और क्रोनिज्म को रोकने की कोई प्रतिबद्धता या इच्छा जताई। अब वो लोगों को भ्रमित करने में लगी है।” (एजेंसी, हि.स.)

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