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अन्नपूर्णा दरबार में श्रद्धालुओं ने टेका मत्था, खजाना पाने के लिए होड़

वाराणसी,28 सितम्बर(हि.स.)। शारदीय नवरात्र के आठवें दिन गुरूवार को भगवती महागौरी और अन्नपूर्णा के दरबार में श्रद्धाुलओं ने मत्था टेका।

विश्वनाथ गली स्थित अन्नपूर्णा और महागौरी दरबार में आधी रात के बाद से ही श्रद्धालु नर नारी दर्शन के लिए कतारबद्ध हो गये। आधी रात के बाद मां का विधि विधान से श्रृंगार और भोग लगाकर कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मंगला आरती की गयी। फिर मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। इसके बाद मां का जयकारा लगा भक्तों ने प्रदक्षिणा के बाद मत्था टेका। 

इस दौरान मां अन्नपूर्णा के दरबार से खजाना पाने की होड़ मची रही। मंदिर के महन्त रामेश्वर पुरी और उप महन्त शंकर पुरी ने भक्तों को मां का खजाना (सिक्के और धान का लावा)दिया। माना जाता है कि मां का यह खजाना अपने घर रखने से श्रद्धालुओं को वर्ष पर्यन्त धन धान्य की कमी नहीं होती।

जनश्रुति के अनुसार देवो के देव महादेव भी मां अन्नपूर्णा के दरबार में अपने भक्तों के सुख समृद्धि और लोककल्याण के लिए याचक की भूमिका में गये थे। कहा जाता है कि मां अन्नपूर्णा के काशी में निवास करने के कारण कोई भूखा नहीं रहता। साथ ही मां महागौरी के आशीर्वाद से श्रद्धालुओं के घर में श्री समृद्धि की बरक्कत के साथ वंशवेल की भी वृद्धि होती है। मां महागौरी की चार भुजाएं हैं। मां अपनी एक भुजा में त्रिशूल तथा दूसरी भुजा अभय मुद्रा में रखती है। माता रानी की तीसरी भुजा में डमरू धारण है तथा चौथी भुजा वर मुद्रा में है। इनका वाहन वृष है।अपने पार्वती रूप में भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां ने कठोर तपस्या की थी। भगवती की शक्ति अमोघ है। मां सर्वाधिक कल्याणकारी हैं। कुंवारी कन्याओं की उपासना से वे शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें मनपसंद जीवनसाथी प्राप्त करने का वरदान देती हैं। 

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