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इस दुर्गा मंदिर की कमान है 17 मुसलमानों के हाथों में, सफाई से कन्या भोजन तक रम जाते हैं 

पटना, सनाउल हक़ चंचल-

नवरात्रि की धूम पूरे देश भर में है. माता रानी की सेवा में सभी भक्त जन रमे हुए हैं. पूरे भारत में कहीं सबसे भव्य माता की पूजा होती है तो वह है बंगाल और बिहार. आज बिहार के एक ऐसे दुर्गा मंदिर के बारे में बता रहे हैं. जो धार्मिक सौहार्द्र और भाईचारे का मिसाल कायम कर रहे हैं. माता का यह मंदिर बेगूसराय में है. जहां की इस दुर्गा पूजा समिति में कुल 24 सदस्य हैं. जिस्मने 17 मुस्लिम हैं. और लगातार माता अम्बे की सेवा में खुद को झोंके हुए हैं.

शहर के बीचोंबीच स्थित यह एकमात्र ऐसा दुर्गा मंदिर है जहाँ हिन्दू -मुस्लिम के आपसी सौहार्द के बीच माँ की पूजा अर्चना देखी जा सकती है। इस मंदिर के समिति में भी कई मुस्लिम समुदाय के लोग सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं, जो आपसी भाईचारे का उदाहारण प्रस्तुत करता है. मोहर्रम और दुर्गा पूजा के दौरान एकता बनाए रखने के लिए इन्हें कोर्ट या सरकार के आदेश की जरूरत भी नहीं है. इनके दिलों में दुर्गा पूजा के लिए उतना ही अदब है, जितना मोहर्रम के लिए है. ये सभी बेगूसराय शहर की 97 साल पुरानी किरोड़ीमल गजानंद दुर्गा पूजा समिति के सदस्य हैं. इन दिनों इन्हें मंदिर प्रांगण की साफ-सफाई करते देखा जा सकता है.

मंदिर के एक तरफ मस्जिद है तो एक तरफ मज़ार तो पीछे की ओर करबला है. मुस्लिम आबादी भी यहाँ काफी है. दोनों समुदाय के लोग मिल जुल कर वर्षो से माँ की पूजा करते आये है। मंदिर कमिटी के अध्यक्ष मुन्ना गोयनका कहते है की यूँ तो इस मंदिर में माँ दुर्गा की पूजा 1921 से ही होती आई है. लेकिन, विगत दो तीन सालों से स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय के भी लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है.

बता दें कि ये मुस्लिम भाई दुर्गा पूजा में अपना योगादं आज से नहीं बल्कि इनकी पीढियां ही इस परंपरा को निभाती आ रही है. सबसे सहयोग और भाई चारे की मिसाल इस बात से दी जाती कि दुर्गा मंदिर से महज 5 मीटर पर मजार और 50 मीटर की दूरी पर मस्जिद है. यहां पांचों वक्त की नमाज होती है, पर नमाज के वक्त मंदिर के लाउडस्पीकर बंद कर दिए जाते हैं. पास में ही कर्बला मैदान भी है, पर मुस्लिम मोहर्रम जुलूस मोहल्ले में सिर्फ इसलिए नहीं निकालते, ताकि दुर्गा पूजा में हिंदुओं को परेशानी हो. जुलूस सिर्फ कर्बला में निकलता है और वहीं पर खत्म भी हो जाता है.

दुर्गा पूजा समिति के मुस्लिम सदस्य पूरे उत्साह के साथ पूरे नौ दिन मंदिर पहुंचते हैं. फिर पूरे परिसर की सफाई करते हैं और व्यवस्थाओं का जायजा लेते हैं. आखिरी दिन मंदिर में जब कन्याओं को भोज खिलाया जाता है तो उसमें भी वे मदद करते हैं. इसके अलावा चाहे लोगों को प्रसाद बांटना हो या पानी पिलाना हो, वे हर काम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. वे मेला आयोजन की पूरी जिम्मेदारी भी निभाते हैं.

किरोड़ीमल गजानंद दुर्गा पूजा समिति में कुल 24 सदस्य हैं, जिनमें 17 मुस्लिम हैं. समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार गोयनका और समिति के सदस्य मो. फारूख फक्र बताते हैं कि यह परंपरा हमारे पूर्वजों से चली रही है. हम एक साथ मिलकर सबकुछ करते हैं. बता दें कि यह मंदिर जिला मुख्यालय का तीसरा सबसे पुराना मंदिर है.

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