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परिवहन विभाग: बौने सिद्ध हुए कमिश्नर के आदेश, दो दिन बाद ही दलाली शुरू

झांसी, 04 सितम्बर : बीते दिनों कमिश्नर और डीएम के औचक निरीक्षण के बाद परिवहन विभाग में चल रहे दलाली के सिस्टम ने फिर से वही गति पकड़ ली है। कुछेक लोग तो इतनी सख्ती के बाद भी वहां से हटने का नाम तक नहीं ले रहे हैं। वहां की स्थिति देख तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे वहां कभी कमिश्नर या डीएम ने उन्हें आदेश दिए ही नहीं थे।

करीब एक माह पूर्व तत्कालीन आरटीओ संजय सिंह के कार्यकाल में एक दिन कमिश्नर अमित गुप्ता और डीएम कर्ण सिंह चैहान ने परिवहन विभाग का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्हें कार्यालय के बाहर दीवार से लगे हुए तमाम दलालों के खोखे आदि भी मिले थे। इस दौरान उन्होंने कुछेक दलालों की धरपकड़ भी कराई थी। बाद में उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया था। साथ ही निर्देश जारी किए गए थे कि कार्यालय के बाहर दलालों का जमावड़ा किसी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कमिश्नर आदेश देकर चले आए। जिलाधिकारी ने भी उसे सख्ती से निर्वाह करने को कहा लेकिन महज दो दिन बाद ही वहां की स्थित पहले जैसी ही हो गई। 

कमाल की बात तो यह है कि बीच सड़क पर दीवार से सटाकर ठेले और खोखे लगाए लोगों को आदेश के बाद एहतियात के तौर पर समझाते हुए पुलिस ने थप्पड़ भी जडे़ थे। किन्तु वहां पर इस मुहिम से जुड़े ये लोग सरकारी जमीन और दीवार पर अपना पुस्तैनी अधिकार समझते हुए कब्जा जमाए हुए हैं। वह भी तब जब वीरांगना की इस नगरी को स्मार्ट सिटी बनाने की मुहिम छिड़ी हुई है।
चंद रुपयों के लिए कुछ भी करने को तैयार दलाल

दलाली प्रथा ने लोगों को इस कदर अपनी जकड़ में ले रखा है कि लोग नियमानुसार कोई भी कार्य करने को तैयार नहीं होते। वहीं दलाल इसके लिए मुंह मांगे दाम वसूल करते हैं। ड्राइविंग लाइसेंस का सरकारी शुल्क करीब 12 से 14 सौ रुपए तक है। इसके लिए दलाल ढाई से साढ़े तीन हजार तक वसूल कर लेते हैं और लोग यह सोचकर देते हैं कि भटकने से निजात तो मिलेगी।

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