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महात्मा गांधी तक ने संघ के सकारात्मक मूल्यों को माना था: वेंकैया नायडू

नई दिल्ली (ईएमएस)। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के आमंत्रण को स्वीकार करने पर हो रहे विवाद के बीच उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक ने संघ के सकारात्मक मूल्यों को माना था। उन्होंने कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता सुरक्षित है और वह भी किसी व्यक्ति अथवा राजनीतिक पार्टी के कारण नहीं, बल्कि इसलिए सुरक्षित है, क्योंकि यह सभी भारतीयों के डीएनए में है। नायडू ने यहां नानाजी मेमोरियल लेक्चर में संबोधित करते हुए कहा कि विश्व के सबसे बड़े स्वैच्छिक मिशनरी संगठन ने उन लोगों को आकर्षित किया है, जो देश को सर्वोपरि रखते हैं, जैसे कि नानाजी देशमुख और दीन दयाल उपाध्याय।

नायडू ने महात्मा गांधी के 1930 में संघ के शिविर में जाने का जिक्र करते हुए कहा, महात्मा गांधी तक ने संघ द्वारा सकारात्मक मूल्यों को माना था। उन्होंने 1934 में गांधी के उद्बोधन से कहा, जब मैं संघ के शिविर में पहुंचा तो मैं आपके अनुशासन और छुआछूत का सफाया देखकर दंग रह गया। नायडू ने कहा कि गांधी जी ने पाया कि स्वंयसेवक एक दूसरे की जाति की परवाह किए बगैर शिविरों में साथ रह रहे थे और खा पी रहे थे। उन्होंने कहा कि संघ के साथ जुड़े होने पर उन्हें गर्व है। उन्होंने जीवन में उन्नति के लिए संघ में मिले प्रशिक्षण को ही श्रेय दिया। दरअसल संघ ने अपने एक कार्यकम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है और मुखर्जी ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया है, जिसके बाद कांग्रेस के अनेक नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के फैसले पर आश्चर्य जताया और उनसे इस पर दोबारा विचार करने को कहा था।

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