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वासंतिक नवरात्र – नवम् सिद्धिदात्री

लखनऊ, 05 अप्रैल (हि.स.)। वासंतिक नवरात्र के नौवें दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। मगर इस बार द्वितीया के क्षय के कारण नवरात्र के आठवें दिन बुधवार को माता सिद्धिदात्री की पूजा होगी। सातवें दिन मंगलवार को मां महागौरी की पूजा अर्चना की गयी।
नवरात्र के अंतिम दिन सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। दुर्गा मइया जगत के कल्याण हेतु नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री का।
मां सिद्धिदात्री कमल आसन पर विराजमान रहती हैं। मां की सवारी सिंह है। देवी ने सिद्धिदात्री का यह रूप भक्तों पर अनुकम्पा बरसाने के लिए धारण किया है। देवतागण, ऋषि-मुनि, असुर, नाग, मनुष्य सभी मां के भक्त हैं। देवी जी की भक्ति जो भी हृदय से करता है मां उसी पर अपना स्नेह लुटाती है।
पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था तथा इन्हीं के द्वारा भगवान शिव को अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त हुआ। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं, जिनका मार्कण्डेय पुराण में उल्लेख किया गया है।

मां सिद्धिदात्री के मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

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