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सहकारी समितियों में खत्म होगा सपा का एकाधिकार!

कानपुर, 29 जनवरी (हि.स.)। कानपुर व बुन्देलखण्ड के सभी जिलों में सोमवार को सुबह आठ बजे से ही सहकारी समितियों के संचालक चुनने के लिए वोटिंग शुरू हुई। चुनाव परिणाम किस करवट बैठता है यह तो अलग बात है पर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारतीय जनता पार्टी सीधे सपा को टक्कर दे रही है। ग्रामीण क्षेत्र में समितियों के चुनाव अहम हैं। अभी तक समितियों पर सपा का एकाधिकार था लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा भी समितियों के चुनाव में कूद पड़ी। निर्विरोध चुने गए आधे से अधिक संचालकों में भाजपा के भी कई लोग शामिल हैं। 

कानपुर की 262 सहकारी समितियों के लिए सोमवार को सदस्य चुने जाने के बाद मंगलवार को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा। फतेहपुर की 77 समितियों में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव चल रहा है। यहां 58 समितियों में 522 संचालक निर्विरोध चुने जा चुके हैं। अधिकतर समितियों में सपा का दबदबा बरकरार है। इटावा में अब तक सभी सहकारी समितियों में सपा का रहने वाला आधिपत्य इस बार कम होता दिखाई दे रहा है। 

जिले की सभी समितियों पर भाजपा भी दमदारी से चुनाव मैदान में कूदी है। इससे अधिकतर समितियों में संचालकों तक का चुनाव हो रहा है। 98 सहकारी समितियों में सभी समिति के लिए 9 संचालक चुने जाएंगे। यही संचालक मंगलवार को सहकारी समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेंगे। फर्रुखाबाद की 74 समितियों में सदस्यों के निर्वाचन के लिए प्रक्रिया शुरू कराई गई थी इसमें 50 समितियों के लिए निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है। 24 समितियों के सदस्यों के लिए निर्वाचन हो रहा है। सहकारिता चुनाव में सपा का बर्चस्व तोड़ने के लिए भाजपा पूरा जोर लगा रही है। मंगलवार को सभापति और उपसभापति का चुनाव होगा।

बांदा में 22 जगह सहकारी समितियों में चुनाव हो रहे हैं, यहां भी भाजपा बराबर की दावेदारी कर रही है। महोबा की 42 सहकारी समितियों में 18 संचालक निर्विरोध हो चुके हैं और सोमवार को 24 पर चुनाव हो रहा है। कानपुर देहात में में 93 समितियां हैं। इनमें से 84 पर मतदान हो रहा। इसी तरह औरैया में 29 समितियों में मतदान चल रहा है। कुल मिलाकर देखा जाय तो इसी तरह सभी जिलों में सपा और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई दिख रही है। बताते चलें भारतीय जनता पार्टी पहली बार बड़े पैमाने पर सहकारी समितियों के संचालन में शामिल होने की तैयारी में जुटी हुई है। 

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