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क्रिकेट का जन्मदाता इंग्लैंड आज ही के दिन पहली बार बना था विश्व विजेता

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का एक ऐसा दिन जिसे भुला पाना नामुमकिन है। आज से ठीक एक साल पहले 2019 में पूरी दुनिया ने एक ऐसे विश्व कप फाइनल को देखा, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

विश्व कप 2019 का फाइनल। मेजबान इंग्लैंड के सामने थी न्यूजीलैंड की टीम। मैदान था ऐतिहासिक लॉर्ड्स का। यह इंग्लैंड का चौथा विश्व कप फाइनल था, वहीं न्यूजीलैंड विश्व कप को जीतने की लगातार दूसरी कोशिश में फाइनल में पहुंचा था।

फाइनल में टॉस जीतकर न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। शुरुआत कुछ खास नहीं रही और अनुभवी मार्टिन गुप्टिल एक स्टार्ट मिलने के बाद 19 रनों पर आउट हो कर पविलियन लौट गए। न्यूजीलैंड की टीम के सभी बल्लेबाजों की कहानी कुछ ऐसी ही रही, यानी कि शुरुआत तो सबको मिली, मगर उसे बड़े स्कोर में तब्दील करने में सब नाकामयाब रहे। कीवी टीम ने हेनरी निकोल्स (55) और टॉम लैथम (47) की छोटी पारियों की बदौलत 50 ओवरों में आठ विकेट खोकर 241 का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। इंग्लैंड की ओर से लियाम प्लंकेट और क्रिस वोक्स ने 3-3 विकेट लिए।

लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम की शुरुआत भी कुछ खास नहीं रही और अंग्रेज़ नियमित अंतराल में अपने विकेट गवाते रहे। इंग्लैंड की टीम की चार बल्लेबाज सिर्फ 86 रन के कुल स्कोर पर पविलियन लौट गए थे। अब टीम की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी बेन स्टोक्स और जोस बटलर के कंधो पर थी। दोनों ने पांचवे विकेट के लिए 110 रन की एक अहम साझेदारी की। इंग्लैंड को तगड़ा झटका तब लगा जब बटलर 45वें ओवर में 59 रन बनाकर आउट हो गए। इस वक़्त इंग्लैंड का कुल स्कोर 196 रन था और जीत के लिए अभी भी 46 रनों की दरकार थी। बटलर के जाने के बाद लगातार विकेट गिरते रहे, मगर स्टोक्स ने एक छोर संभाले रखा।

मैच आखिरी ओवर में पहुंच गया जहां इंग्लैंड को जीत के लिए 15 रनों की जरूरत थी। स्टोक्स के सामने थे न्यूजीलैंड के सबसे बेहतरीन गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट। बोल्ट की पहली दो गेंदे डॉट रहीं और अब इंग्लैंड की जीत अब मुश्किल नजर आ रही थी। मगर, तीसरी गेंद पर स्टोक्स ने शानदार छक्का लगाया और अब इंग्लैंड को तीन गेंदों पर नौ रन बनाने थे। चौथी गेंद पर स्टोक्स ने शॉट लगाया और दो रन के लिए दौड़ पड़े, रन आउट के चक्कर में गुप्टिल ने कीपर की ओर थ्रो फेंका और थ्रो स्टोक्स के बल्ले से लग कर बाउंड्री से जा लगा। इसके साथ ही इंग्लैंड के खाते में छह और रन जुड़ गए।

इंग्लैंड को अब दो गेंदों पर तीन रन की जरूरत थी। ओवर की पांचवीं और आखिरी गेंद पर सिर्फ एक – एक रन ही आया और मैच टाई होकर सुपर ओवर में पहुंच गया। यह विश्व कप इतिहास में पहली बार हुआ था कि किसी मैच का निर्णय अब सुपर ओवर से होगा।

इंग्लैंड की ओर से सुपर ओवर में बल्लेबाजी करने के लिए स्टोक्स और बटलर मैदान में आए, जिनके सामने थे बोल्ट। स्टोक्स और बटलर ने एक – एक चौका मार सुपर ओवर में 15 रन बना दिए और न्यूजीलैंड को पहली बार विश्व चैंपियन बनने के लिए अब 16 रन बनाने थे।

लक्ष्य का पीछा करने उतरे न्यूजीलैंड के जेम्स नीशम और गुप्टिल, उनके सामने थे अपना पहला विश्व कप खेल रहे जाॅफ्रा आर्चर। आर्चर ने पहली ही गेंद वाइड फेंकी। दूसरी गेंद पर नीशम ने दो रन लिए, जिसके बाद तीसरी गेंद पर उन्होंने शानदार छक्का जड़ा। अगली तीन गेंदों पर दो डबल और एक सिंगल आया और आखिरी गेंद पर कीवी टीम को दो रनों की जरुरत थी। गुप्टिल ने गेंद को मिड – विकेट की ओर धकेला और दो रन के लिए दौड़ पड़े, लेकिन बटलर ने उनका दूसरा रन पूरा होने से पहले ही गिल्लियां बिखेर दी। स्कोर सुपर ओवर में भी टाई रहा और जिसके बाद ज्यादा बाउंड्री संख्या के आधार पर इंग्लैंड पहली बार विश्व कप जीत गया। इंग्लैंड ने इस मैच में कुल 26 बाउंड्री लगाई थी, वहीं न्यूजीलैंड की टीम सिर्फ 17 बाउंड्री लगा पाई थी।

किसने सोचा था कि क्रिकेट का जन्मदाता देश एक विश्व कप ट्रॉफी जीतने के लिए 44 वर्ष का लंबा इंतजार करेगा। इंग्लैंड पहली बार विश्व विजेता बन चुका था और न्यूजीलैंड सब कुछ करने के बाद भी खाली हाथ रह गया था। वास्तव में क्रिकेट के इतिहास में कभी ऐसा मैच खेला ही नहीं गया था।

आज इंग्लैंड को विश्व विजेता बने पूरा एक साल हो गया है। (एजेंसी, हि.स.)

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