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इस तरह स्कूली बच्चे कर सकते हैं 90 प्रतिशत रोगों का इलाज

लखनऊ, 19 अप्रैल = प्राकृतिक चिकित्सकों का मानना है कि स्कूली बच्चे प्रकृति के सानिध्य में रहकर 90 प्रतिशत रोगों का इलाज स्वयं कर सकते हैं। उनका कहना है कि हमारे घर व आसपास तमाम ऐसे पेड़ पौधे उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से बच्चे तमाम रोगों का स्थायी इलाज कर सकते हैं।

11904dli-rajeshप्रसिद्ध आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सक डॉ राजेश कपूर ने हिन्दुस्थान समाचार से एक विशेष वार्ता में बताया कि आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति सबसे पुरानी है। लेकिन, देश की इस पारम्परिक चिकित्सा पद्धति को जानबूझकर नष्ट करने का प्रयास चल रहा है। उन्होंने बताया कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां एलोपैथ दवाओं से अरबों खरबों रूपये कमा रही हैं और एक साजिश के तहत हमारी पारम्परिक चिकित्सा पद्धति को नष्ट किया जा रहा है।

डॉ कपूर ने कहा कि एलोपैथ चिकित्सा महंगी होने के साथ ही उसके दुष्प्रभाव भी हैं। फिर भी सरकार बिना सोचे समझे इसको बढ़ावा दे रही है। एलोपैथ चिकित्सा की सर्जरी, जांच व शोध जितना आवश्यक है उतना ही लेना चाहिए। उनकी दवाओं का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।

आयुर्वेद में असाध्य रोगों का स्थाई इलाज संभव

डॉ राकेश कपूर ने बताया कि आयुर्वेद में असाध्य रोगों का स्थाई इलाज होता है। असाध्य कहलाने वाले जिन रोगों की चिकित्सा एलोेपैथ में सम्भव नहीं है आयुर्वेद में उनके एक नहीं अनेक उपाय उपलब्ध हैं। इसलिए भारत ही नहीं बल्कि विश्व के हित में पारम्परिक चिकित्सा को बढ़ावा देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप,थायराइड,अल्जाइमर और पार्किन्सन का एलोपैथ में स्थाई इलाज है ही नहीं जबकि आयुर्वेद में इन बीमारियों का स्थायी इलाज है।

डिब्बाबंद आहार स्वास्थ्य के लिए घातक

डॉ कपूर ने बताया कि डिब्बाबंद आहार स्वास्थ्य के लिए घातक है। डिब्बाबंद खाने को सुरक्षित रखने के लिए उसके कई प्रकार के केमिकल डाले जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्लास्टिक के पात्रों में रखा आहार कैंसर का कारण बनता है। इसके अलावा जीवन शक्ति नष्ट कर असाध्य रोग पैदा करते हैं। वहीं एल्युमुनियम के बर्तनों का उपयोग करने के कारण मानसिक रोग और लाल रक्त कण का तेजी से नष्ट होते हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में हुए एक शोध का हवाला देते हुए डा. कपूर ने बताया कि जो मां मातृत्व काल में चीनी का उपयोग नहीं करती उसकी संतान के दांत 100 वर्ष तक भी खराब नहीं होते हैं।

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युवाओं को वासना के गर्त में ढ़केला जा रहा

प्राकृतिक चिकित्सक ने बताया कि युवा पीढ़ी को बड़ी तेजी से योजनाबद्ध ढ़ंग से वासना के गर्त में ढ़केला जा रहा है। चिकित्सक स्वास्थ्य रक्षा के स्वर्णिम सूत्र ब्रहाचर्य के वैज्ञानिक रूप से परिचित नहीं कराते कि वीर्य नाश से बुद्धि और बल का नाश होता है। वे वासना का बाजार फैलाने वाली शक्तियों के सहायक हैं।

कामवासना का प्रचार कर रहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाएं

विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाएं एड्स और एड्स से सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च कर कामवासना का प्रचार कर रही हैं। एड्स से बचाव के नाम पर युवाओं को हर पल काम वासना के सागर में गिराने का पश्चिमी षड़यन्त्र सरकारी संरक्षण में फल फूल रहा है। कण्डोम साथ लेकर चलो ताबि एड्स से बचाव हो इसका प्रचार किया जा रहा है।

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