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एक ऐसा मंदिर जहां सूर्याेदय होने पर हनुमान मूर्ति पर पड़ती है पहली किरण

बालाजी बाजीराव पेशवा ने यमुना नदी किनारे बनवाया था महावीर मंदिर
-कारीगरी की अद्भुत मिसाल कि बिना सरिया के बनाया गया था मंदिर
-ब्रिटिश हुकूमत के समय अंग्रेज अफसर परिवार भी करते थे पूजा पाठ

हमीरपुर, 22 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिला मुख्यालय में मराठा कालीन महावीर मंदिर जैसी एतिहासिक धरोहर के अस्तित्व पर संकट मंडरा गया है। मंदिर में हनुमान जी मूर्ति स्थापित है जिसमें सूर्य उदय की पहली किरण मूर्ति की चेहरे पर पड़ती है। यमुना नदी किनारे बने इस मंदिर में अक्सर चमत्कार होते रहते हैं। तीन पीढ़ी से मंदिर की सेवा और देखभाल करने वाले पुजारी का कहना है कि यदि कोई भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर अपनी समस्या के लिये अर्जी लगाता है तो उसे हनुमान की कृपा मिलना तय है। 

जानकारी के मुताबिक हमीरपुर शहर के हाथी दरवाजा इलाके में यमुना नदी किनारे स्थित इस महावीर मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। संवत 1723 में बालाजी बाजीराव पेशवा ने मंदिर बनवाकर इसमें हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना करायी थी। मूर्ति करीब डेढ़ फीट लम्बी हैै जो चमत्कारी बतायी जा रही है। तीन पीढ़ी से मंदिर की सेवा करने वाले पुजारी बाबा हरिनारायण द्विवेदी ने बताया कि महावीर मंदिर मराठा कालीन है जो बिना सरिया का इस्तेमाल किये बना है। कारीगरी की अद्भुत छठा मंदिर में देखने को मिलती है। इसमें कोई भी कील नहीं गाड़ी जा सकती है। 

बाजीराव पेशवा के हमीरपुर शासनकाल में कारीगरों ने बड़े ही वैज्ञानिक और अध्यात्मिक तरीके से मंदिर का निर्माण कराकर हनुमान जी मूर्ति स्थापित की थी। इसीलिये सूर्य उदय होने पर सबसे पहले सूर्य की किरण हनुमान जी मूर्ति के चेहरे पर पड़ती है फिर धीरे-धीरे सूर्य की किरणें पूरी मूर्ति पर पड़ती है। पुजारी बाबा की मानें तो इस मंदिर में अक्सर चमत्कार होते रहते हैं। कुछ दशक पहले बैंक में नौकरी करने वाला एक शख्स मंदिर के परिक्रमा के सामने फर्श पर रात में लेट गया जिसे 50 फीट दूर हनुमान जी ने फेंक दिया था। बाद में उसने मूर्ति के सामने माथा टेकते हुये माफी मांगी थी। इसी तरह से कई लोगों को मंदिर से दंड मिल चुका है। 

पुजारी बाबा ने बताया कि इस एतिहासिक महावीर मंदिर में आज तक किसी चोर ने घुसने की हिम्मत नहीं की है। रात में मंदिर यूं ही खुला रहता है। इससे पहले इस मंदिर में धर्मपाल पुजारी थे जिन्होंने मंदिर में ही तीस साल पहले प्राण त्याग दिये थे। मौजूदा पुजारी बाबा हरिनारायण है जो पांच साल की उम्र में मंदिर की सेवा में लग गये थे। अब उनकी उम्र इस समय 66 साल है। 

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बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के समय में अंग्रेज अफसर अपने परिवार सहित इस मंदिर में आकर पूजा पाठ करते थे। क्योंकि वह भी मंदिर की चमत्कारी मूर्ति से परिचित थे। उनके समय में मंदिर के आसपास निर्माण हुआ था फिर इस मंदिर को संवारने के लिये स्थानीय लोग आगे आये, मगर इस अद्भुत मंदिर के अगल बगल इमारतें बन जाने से इसके अस्तित्व पर ही दाग लगता जा रहा है। इस मंदिर को पुरातत्व विभाग की सूची में दर्ज कराने के लिये स्थानीय लोगों ने शुरू में कोशिश की, मगर आज तक इस मंदिर के लिये पुरातत्व विभाग ने कोई पहल तक नहीं की है।

इधर क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा.एसके दुबे ने बताया कि छह साल पहले हमीरपुर में टीम के साथ महावीर मंदिर सहित कई एतिहासिक धरोहरों का सर्वे किया था मगर कुछ तकनीकी कमी के कारण यह धरोहर पुरातत्व के दायरे में नहीं आ सकी। उनका कहना है कि महावीर मंदिर मराठाकाल के समय का है जो काफी अद्भुत है। 

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