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किसानो की हड़ताल से, दिल्ली-मुंबई में टमाटर हुए महंगे

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करे सरकार

नई दिल्ली (ईएमएस)। केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल का शनिवार को दूसरा दिन है। देश के सात राज्यों में जारी इस हड़ताल में 130 संगठन शामिल हैं। शनिवार को भी कई जगहों पर प्रदर्शन के आसार हैं। हड़ताल के पहले दिन किसानों के गुस्से की तस्वीर सामने आई। कहीं किसानों ने सड़कों पर दूध बहाया तो किसी राज्य में सब्जियां रास्तों में फेंक दी गईं। किसानों का यह 10 दिवसीय आंदोलन सब्जियों के न्यूनतम मूल्य, समर्थन मूल्य और न्यूनतम आय सहित कई मुद्दों को लेकर किया जा रहा है। किसानों की ये भी मांग है कि दूध के दाम पेट्रोल के बराबर हों। मंडियों में सप्लाई ठप्प होने से सब्जियों के रेट बढ़ गए हैं।

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दिल्ली की गाजीपुर मंडी में सब्जियों के थोक रेट में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।
मुंबई में भी सब्जी की कीमतें बढ़ गई हैं। यहां टमाटर की कीमत 40 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है।जबकि प्याज 20, आलू 30 और भिंडी 80 रुपये प्रति किलो मिल रही है। किसानों का आरोप है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के बारे ये सरकार बात ही नहीं कर रही है। साल 2006 में जो सिफारिशें स्वामीनाथन आयोग ने दी थी वो 11 सितंबर 2007 को ही कांग्रेस सरकार ने स्वीकार कर ली थी। किसानों का दावा है कि मोदी ने भी किसानों के सुधार की बात कही, लेकिन उसने भी इस चुनावी जुमला कहकर छोड़ दिया। किसानों का आरोप है कि किसी को भी उनकी चिंता नहीं है, इसीलिए ये आंदोलन हो रहा है। बता दें कि राजस्थान के बूंदी में टमाटर 2 रुपए किलो बिक रहा है, जिसके चलते किसान अपनी फसल जानवरों को खिलाने और फेंकने को मजबूर हैं।

हड़ताल के चलते पंजाब के भटिंडा में सब्जियों के मंडी तक ना पहुंचने से कीमतें बढ़ गई हैं। सब्जियों के रेट में 20 से 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है। वहीं, पंजाब के संगरूर में किसानों ने दस जून तक सब्जियों की सप्लाई रोक दी है। किसान गांव में लोगों को मुफ्त दूध पिला रहे हैं। महाराष्ट्र के किसानों में भी केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नाराजगी देखने को मिली है। पुणे के टोल प्लाजा पर किसानों ने करीब चालीस हजार लीटर दूध बहाया। महाराष्ट्र के मनमाड में भी शहरों को दूध सप्लाई करने से किसानों ने इनकार कर दिया है।

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