Home Sliderखबरेदेशनई दिल्ली

केरल में बीजेपी जमा रही पांव , चेंगन्नूर उपचुनाव में कांग्रेस और लेफ्ट की बढ़ाई चिंता

तिरुअनंतनुरम (ईएमएस)। केरल के चेंगन्नूर विधानसभा उपचुनाव के लिए सोमवार को वोटिंग हुई। लेकिन पहले की तुलना में अब इस सीट के समीकरण बदल चुके हैं। केरल में बीजेपी की लगातार बढ़ती हुई ताकत ने परिस्थितियां बदल दी हैं। अब बीजेपी चुनाव में बड़ी भूमिका निभा रही है, जबकि पहले मुख्य रूप से एलडीएफ व यूडीएफ में ही मुकाबला होता था। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर 16 फीसदी रहा था। अब सीपीएम के लिए यह सीट नाक का सवाल है और चेंगन्नूर की सीट एलडीएफ सरकार के दो सालों का लेखा-जोखा पेश करने जैसा है। वहीं कांग्रेस इस सीट को फिर से अपने खाते में डालना चाहती है, क्योंकि यूडीएफ इस सीट को चार बार जीत चुकी है। बता दें कि मध्य केरल की इस सीट पर सीपीएम विधायक केके रामचंद्रन नायर के निधन के बाद उपचुनाव हुआ है। पिछले विधानसभा चुनाव में रामचंद्रन ने कांग्रेस के उम्मीदवार को 8000 वोटों से हराकर यह सीट जीती थी। इस बार एलडीएफ ने सीपीएम के अलप्पुझ़ा जिला सचिव सजी चेरियान को उतारा है, जबकि यूडीएफ ने डी. विजयकुमार को अपनी पार्टी से प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी ने केरल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई को इस सीट से टिकट दिया है।

पिछले विधानसभा चुनाव में इन्होंने यूडीएफ व एलडीएफ के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी थी। इस सीट पर 26 फीसदी वोट नायर समुदाय के हैं, जबकि ओबीसी में आने वाले एझवा समुदाय के लोगों के 18 फीसदी वोट हैं। यहां ईसाई भी काफी संख्या में हैं। लेकिन इन सभी बातों के बीच केरल में लगातार बीजेपी की बढ़ती हुई ताकत का पता इसी बात से लगता है कि एलडीएफ और यूडीएफ दोनों ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान किसी न किसी तरह से बीजेपी का ज़िक्र किया। एलडीएफ ने प्रचार के दौरान जहां एक तरफ पिनाराई विजयन सरकार की दो साल की उपलब्धियों को गिनवाया, वहीं नोटबंदी के दौरान लोगों को हुई परेशानी के साथ-साथ जीएसटी की कमियों का भी ज़िक्र किया। एलडीएफ ने बीजेपी पर सांप्रदायिकता का भी आरोप लगाया। यूडीएफ ने भी राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार पर जन-विरोधी होने का आरोप लगाया। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि वे बीजेपी पर भी निशाना साध रही थीं। वहीं बीजेपी अपने बढ़ते हुए वोट शेयर का सारा श्रेय मोदी सरकार के चार साल के कामों को दे रही है। 2011 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को महज़ 6000 वोट मिले थे, जो 2016 के विधानसभा चुनाव में बढ़कर 42000 हो गए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार नेमॉम सीट बीजेपी के उम्मीदवार ओ. राजगोपाल जीतकर विधायक बने।

बता दें कि केरल में बीजेपी ने ‘भारत धर्म जन सेना’ का गठबंधन कर रखा है, जिसे एझवा समुदाय के लोगों का समर्थन प्राप्त है। चूंकि इस सीट पर एझवा समुदाय के लोग 18 फीसदी हैं, इसलिए चेंगन्नूर सीट पर बीजेपी को अच्छी बढ़त मिल सकती है। बीजेपी ने इस सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है और इसीलिए लगातार वह बिप्लब देब व योगी को चुनाव प्रचार के लिए भेजती रही है। बिप्लब देब ने हाल ही में त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में लेफ्ट की माणिक सरकार की 25 साल पुरानी गवर्नमेंट को उखाड़ फेंका और बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिलाया। केरल में उन्हें प्रचार के लिए भेजकर बीजेपी वहां के कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास पैदा करना चाहती थी और कहीं न कहीं यह भी बताना चाहती थी कि त्रिपुरा के परिणाम को दोहराया जा सकता है।

Related Articles

Back to top button
Close