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क्राईम : नाबालिगों का अपराध में बढ़ता ग्राफ खतरनाक

नई दिल्ली, 26 दिसम्बर : उत्तर पश्चिमी जिले के मुखर्जी नगर स्थित बाल सुधार गृह में कुकुर्म के मामले ने एक बार फिर नाबालिगों की सजा और उनकी मानसिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले सात साल का नाबालिगों को लेकर आंकड़ों पर बात की जाए तो हर वर्ष आंकड़े बढ़कर ही दिखाई दे रहे हैं। यह समाज के लिए काफी चिंता का विषय भी बन गया है। 

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मुखर्जी नगर बाल सुधार गृह में रविवार को कुकर्म का मामला सामने आया था। जिसमें कुकर्म करने वाला पहले से ही एक किशोरी से बलात्कार कर हत्या करने की सजा काट रहा था। सूत्रों की मानें तो जिस नाबालिग पर आरोप लगा है। वह बाल सुधार गृह में बदमाश की तरह से रहता था। बाल गृह में उसने अपना एक गैंग बनाया हुआ है। सूत्रों की माने तो यहां पर आने वाले नाबालिग उनसे काफी बदतमीजी से बात करते है। गंदी-गंदी हरकत कर उनको चिड़ाते हैं। ये वो नाबालिग हैं जिनपर कई केस दर्ज हैं। 

कुकर्म करने वाले नाबालिग को रखा गया अलग

सूत्रों के अनुसार, जिस नाबालिग ने कुकर्म किया है उसको एक अलग कमरे में सजा के तौर पर एक दिन के लिए अलग रखा गया। जिससे उसको लगे कि उसने गलत किया है। वहीं दूसरी तरफ पीड़ित काफी डरा हुआ है। जिससे सुपरिटेंडेंट आदि अधिकारियों ने बातचीत की है। वह इन नाबालिगों से अलग रहना चाहता है। 

नाबालिगों का अपराध की तरफ झुकाव!

पिछले आठ वर्षो की बात की जाएं तो नाबालिग जिस तरह से पढ़ाई-लिखाई छोड़कर अपराध की तरफ अपना झुकाव दिखा रहे हैं। उससे समाज और सरकार और कानून बनाने वालों को सोच में डाल दिया है। नाबालिगों के आकंड़ों की बात करें तो 2013 से 16 के बीच की बात करें तो 2013 में दो हजार 74, 2014 में 21 सौ 44, 2015 में 18 सौ 41 और 2016 में दो हजार 54 नाबालिग पकड़े गए थे। पकड़े गए नाबालिगों में 12 से 17 साल की उम्र के बच्चे थे। 2013 में सात से 12 साल की उम्र में 50,12 से 16 साल की उम्र में 636 और 16 से 18 साल की उम्र में 1388 वारदातों को अंजाम दिया। यह आंकड़ा 2017 में करीब पौने दो हजार तक पहुंच गया है। 

गरीबी मोड़ देती है अपराध की तरफ

पुलिस सूत्रों की माने तो गरीबी सबसे बड़ा कारण है जो बच्चे को अपराधिक गतिविधयों में शामिल होने के लिये मजबूर करती है। इसके अलावा, आजकल सामाजिक मीडिया की भूमिका जो किशोरो के मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव के स्थान पर नकारात्मक प्रभाव अधिक डालती है। इसके अलावा कम उम्र में नशा है जिस कारण किशोर अपराध की ओर चल पढ़ता है। (हि.स.)।

आगे पढ़े : लोकसभा में पेश हुआ मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017

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