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डेढ़ दशक से बिजली विभाग कर रहा लापरवाही, अंधेरे में रह रहे ग्रामीण

कानपुर, 20 फरवरी (हि.स.)। जनपद से करीब 60 किलोमीटर दूर घाटमपुर में 1960 मेगावॉट क्षमता का पावर प्लांट लगने जा रहा है। जो कानपुर ही नहीं आस-पास के जनपदों को रोशन करेगा लेकिन इसी क्षेत्र के एक गांव में करीब 17 वर्षों से बिजली के खम्भे, तार व ट्रांसफार्मर शो-पीस बने हुए हैं। जिसके चलते ग्रामीण आजादी के 70 साल बाद भी दीपक के सहारे रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों की माने तो बिजली विभाग जानबूझकर मुख्य लाइन से सौ मीटर का तार नहीं जोड़ रहा है।

औद्योगिक नगरी कानपुर व आसपास के जनपदों को रोशन करने के लिए घाटमपुर में 17,237 करोड़ रुपये की लागत से 1980 मेगावॉट क्षमता का प्लांट लग रहा है। जिसका निर्माण नेयवेली उत्तर प्रदेश पावर लिमिटेड कंपनी (एनयूपीपीएल) कर रही है। कंपनी यहां पर 660-660 मेगावॉट की तीन यूनिटें लगाएगी। मगर घाटमपुर के ही भीतरगांव ब्लॉक के अन्तर्गत वाले रसूलपुर जाजमऊ गांव आजादी के बाद से आज तक अंधेरे में रह रहा है। ऐसा नहीं है कि यहां पर विद्युतीकरण नहीं किया गया, गांव के तीन बार प्रधान रह चुके छोटेलाल यादव ने बताया तत्कालीन विधायक राकेश सचान के सहयोग से यहां पर 2001 में विद्युतीकरण किया गया था। यहां पर उस दौरान पूरे गांव में बिजली के खंभे लगाये गये और उनमें तार भी लगाए गये। यही नहीं ट्रांसफार्मर लगने के लिए ग्रामीणों ने बिजली कनेक्शन भी ले लिया और ट्रांसफार्मर भी लग गया लेकिन 17 साल बाद भी यहां पर नंगे तारों पर बिजली नहीं दौड़ी।
17 वर्षों से रोशनी की उम्मीद

छोटेलाल यादव ने बताया कि यहां पर करीब 1200 आबादी रहती है, गांव के प्रत्येक गली में बिजली के खम्भे गड़े हुए है और गांव में ट्रान्सफॉर्मर भी लगे हुए हैं। इस गांव के लोगों की जिन्दगी आजादी के बाद से ढिबरी की रोशनी में बीतती चली जा रही है। बड़े बुजुर्गो की माने तो वह आज भी अपने बच्चों की जिंदगी मे बल्ब की रोशनी की उम्मीद लगाए बैठे हैं। 17 वर्षों में नयी-नयी सरकारों के तीन विधायक बन चुके है लेकिन किसी ने भी अपनी जिम्मेदारी रसूलपुर के लिए नहीं निभाई और आज भी गांव में अन्धेरा फैला है।

गांव की बीएससी पास कर चुकी छात्रा आशिया पुत्री रसूल अहमद बताती हैं कि प्रधानमंत्री मोदी हर गांव को सोशल मीडिया से जोड़ना चाहते हैं लेकिन गांव के युवा बिजली नहीं होने से वाट्सअप-फेसबुक आदि से कोसों दूर हैं। कानपुर मे रहकर पढ़ाई की तब खुद खरीदकर लैपटॉप चलाना सीखा था लेकिन घर आते ही सब बंद हो गया।

वहीं, ग्रामीण के रामआसरे ने बताया कि तत्कालीन विधायक राकेश सचान के प्रयास से गांव में विद्युतीकरण तो हो गया पर गांव में बिजली न पहुंचने का कारण है विभाग की लापरवाही। बताया कि केवल सौ-सौ मीटर के तीन तार लगने है पर बिजली विभाग सौ-सौ मीटर के तार मुख्य लाइन से जोड़ने के लिए बराबर लापरवाही बरत रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बिजली विभाग गांव की लाइन को एचटी लाइन से जोड़ दिया होता तो आज गांव में दिए नहीं बिजली के बल्ब जल रहे होते। इसके साथ ही युवा सोशल मीडिया व् डिजिटल इण्डिया को जानता होता।

बिठूर से पहली बार विधायक बने अभीजीत सांगा ने कहा कि गांव की हर गली में खम्भे गड़े हुए हैं और उनमें तार भी खींचे गये हैं। गांव में मीटर भी लगे हैं, फिर भी 17 वर्षों से गांव में लाइट नहीं आई है। इसकी जानकारी अभी तक हमें किसी ने नहीं दी थी अब जानकारी हुई है बिजली विभाग के अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा। साथ ही इस घोर लापरवाही की शिकायत मुख्यमंत्री जी से भी की जाएगी। बताते चलें कि सांगा सत्ताधारी पार्टी भाजपा से विधायक हैं। तो वहीं अधिशाषी अभियंता पीके त्रिवेदी ने कहा कि विद्युतीकरण होने के बाद भी इतने सालों से लाइट नहीं आ पायी, बड़ी आश्चर्य की बात है। एसडीओ और जेई से जांच करा कर गांव को रोशन कराने का पूरा प्रयास करेंगे।

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