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दलितों के भारत बंद के पीछे थीं हाईटेक तैयारियां

-इस्तेमाल किया गया आर्टिफिशल इंटेलिजेंस

नई दिल्ली (ईएमएस)। दलित संगठनों द्वारा दो अप्रैल को बुलाया गया भारत बंद कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जीआईएस और बड़े आंकड़ों के प्रयोग का परिणाम था और बंद की सफलता का कारण भी यही रहा। अमेरिका के दलित कार्यकर्ताओं के एक कोर समूह ने यह दावा किया है। एससी, एसटी एक्ट में बदलाव किए जाने के खिलाफ अचानक हुए प्रदर्शन से कई लोग दंग रह गए थे। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम एशिया सहित करीब 100 विदेशी दलित संगठनों का गुप्त नेटवर्क चलाने वाले दिलीप म्हास्के ने कहा कि प्रदर्शन दिखाता है कि दलितों को अब किसी राजनीतिक दल से जुड़े रहने की कोई ज़रूरत नहीं है।

उन्होंने कहा, कृत्रिम बुद्धिमता, जीआईएस और सोशल मीडिया को अपनाने के कारण दलित राजनीति के नए युग की शुरुआत हुई है। गुप्त समूह में काम करने वाले अधिकतर कार्यकर्ता आईटी क्षेत्र से जुड़े हैं और कुछ शीर्ष तकनीकी कंपनियों में काम करते हैं। म्हास्के को छोड़कर समूह से जुड़े किसी भी कार्यकर्ता ने पहचान जाहिर नहीं करने की इच्छा जताई। उनमें से कई ने कहा कि पिछले तीन साल से वे भारत भर के समान विचारधारा वाले दलित कार्यकर्ताओं को एक सोशल मीडिया नेटवर्क से जोड़ने की कोशिश में लगे थे। उनका ध्यान मुख्य रूप से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र के 100 संसदीय क्षेत्रों पर था। म्हास्के ने कहा, दो अप्रैल का भारत बंद प्रायोगिक था, जो सफल रहा। पिछले कुछ सालों में समूह ने सार्वजनिक तौर पर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच पर उपलब्ध करोड़ों आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेस का इस्तेमाल किया। म्हास्के ने दावा किया कि पिछले तीन साल में समूह ने सोशल मीडिया से संबंधित डेटा खरीदने के लिए पांच लाख अमेरिकी डॉलर खर्च किए।

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