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पटनायक के गढ़ में तैयार होगा भाजपा के मिशन 2019 का रोडमैप

संत कवि भीम भोई सभागार (भुवनेश्वर), 15 अप्रैल (अजीत पाठक)। ओडिशा में हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में मिली शानदार सफलता और सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के कुनबे मे ठनी रार के बीच भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शनिवार को शुरु हो गई। हाल में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली जबरदस्त सफलता के बाद भाजपा अब पूरब के समुद्र तटीय राज्य ओडिशा में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपनी सियासी को मजबूत करने की कोशिश में जुट गई है। हाल में हुए पंचायत चुनावों में पूर्व की अपेक्षा भाजपा को दस गुना वोट हासिल हुए हैं| ऐसे में पार्टी राज्य में तीसरे नंबर से दूसरे नंबर के दल के रूप में उभर कर सामने आई है। उत्साह के इस माहौल में हो रही इस बैठक के चर्चा के केंद्र में 2019 के लोकसभा चुनाव हैं।

दो दिवसीय कार्यकारिणी बैठक की शुरूआत के पहले दिन शनिवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय पदाधिकारियों के अलावा राज्यों के प्रदेश पदाधिकारी, सभी मोर्चों के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी शामिल हुए। इस इस बैठक में शाह ने राज्यों की प्रगति रिपोर्ट पर चर्चा की और जरूरी निर्देश भी दिए।

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कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दोपहर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी भुवनेश्वर पहुंचेंगे। जहां शाम 5 बजे से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संबोधन के साथ कार्यकारिणी की बैठक शुरु होगी। बैठक में सबसे पहले ओडिशा पर चर्चा की जाएगी। यहां की 147 विधानसभा सीटोंको समीकरणों पर चर्चा केंद्रित रहेगी। हाल में संपन्न पंचायत चुनाव में सीटवार प्राप्त मतों का, क्षेत्रवार, जिला स्तर , विधानसभा और लोकसभा सीट के आधार पर विश्लेषण किया जाएगा, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किस क्षेत्र और किस सीट पर कितनी मेहनत और किस स्तर पर प्रबंधन की जरुरत है इसका अंदाजा लगाया जा सके। दरअसल, ओडिशा भाजपा के एजेंडें में प्राथमिकता पर यकायक नहीं आ गया। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक नरेन्द्र मोदी चौथी बार ओडिशा आ रहे हैं। 2015 में एक बार, 2016 में तीन बार और 2017 में यह उनका पहला दौरा है।

वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर की जिन 125 सीटों पर भाजपा को मात मिली, उसमें कौन सी सीट किस कारण हारें इस पर भी मंथन होगा। खासतौर पर उन सीटों पर ध्यान दिया जाएगा जिन पर भाजपा जीतती रही किंतु पिछले आम चुनाव में हार गई। समझा जाता है कि उन सीटों पर हार का कारण भली भांति समझ चुका केंद्रीय नेतृत्व ऐसी सीटों पर खेल करने वालों का पेंच कस उनका भविष्य भी तय करेगा।

बैठक में लगभग दो घंटे से ज्यादा का समय लोकसभा सीटों की समीक्षा के लिए तय किया गया है। भाजपा सूत्रों की मानें तो, पार्टी की तरफ से इस बात की भी रिपोर्ट तैयार कराई गई है कि 2014 में मोदी लहर होने के बावजूद देभभर की 125 सीटों में उसे किन कारण हार का सामना करना पड़ा। इसके लिए उन सभी 125 लोकसभा सीटों का राजनीतिक, सामाजिक और जातिगत समीकरण को आधार बना विश्लेषण किया जाएगा। इस समीक्षा की वजह यह भी है कि पार्टी इन सीटों का सियासी और जातिगत मूड परखकर पहले से ही इन पर 2019 के मद्देनजर काम शुरु कर दे। सूत्र के मुताबिक, लंबे वक्त से इन सीटों पर हार के कारणों की पड़ताल चल रही थी, अब रिपोर्ट तैयार है जिसे कार्यकारिणी में प्रस्तुत किया जाएगा।

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