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फिल्म समीक्षा : कमजोर निर्देशन और पटकथा की शिकार फिल्म हैं जग्गा जासूस

बैनर : वाल्ट डिज़्नी पिक्चर्स, पिक्चर शुरू प्रोडक्शन्स 
निर्माता : सिद्धार्थ रॉय कपूर, रणबीर कपूर, अनुराग बसु
निर्देशक : अनुराग बसु
संगीत : प्रीतम  
कलाकार : रणबीर कपूर, कैटरीना कैफ, अदा शर्मा, सयानी गुप्ता 

 बर्फी के बाद निर्देशक अनुराग बसु और रणबीर कपूर की नई फिल्म ‘जग्गा जासूस’ मूल रूप से एडवेंचर फिल्म है, जिसकी कहानी एक बेटे की अपने पिता की तलाश पर टिकी है। 
जग्गा (रणबीर कपूर) अपने खोए हुए पिता की तलाश में भटक रहा है। इस तलाश में जग्गा का साथ पत्रकार श्रुति (कटरीना कैफ) देती है। जग्गा और श्रुति का ये सफर किस-किस मोड़ से होकर कैसे अंजाम तक पहुंचता है, ये फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा। 

अनुराग बसु के पास कहानी दिलचस्प थी। अपनी शैली के मुताबिक, इस बार भी वे इस कहानी को इमोशनल जर्नी बनाने के लिए एक सफर पर निकले, जिसमें कई जगहों पर गानों का भी सहारा लिया गया, लेकिन फिल्म की पटकथा इस फिल्म की पहली और बड़ी कमजोरी है। फिल्म सुस्त रफ्तार से होती है। पहले हाफ में किरदारों को जमाने में अनुराग बसु ने इतना वक्त लगाया कि कहानी ठहर जाती है। इसे आगे बढ़ाने के लिए वे छोटी-छोटी घटनाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन बात नहीं जमती। दूसरी कमी ये है कि इमोशनल होने के बाद भी इसके मुख्य किरदारों के साथ कोई जुड़ाव नहीं होता। हर किरदार जल्दी ही बनावटी बन जाता है। अनुराग की बतौर निर्देशक एक बड़ी असफलता ये रही कि वे किरदारों में कोई तालमेल नहीं बैठा पाए। जब फिल्म की कहानी और किरदारों में बिखराव की स्थिति आ जाए, तो फिल्म फंस जाती है और ‘जग्गा जासूस’ अंत तक इस जकड़न से बाहर नहीं आती। 

परफॉरमेंस की बात करें, तो रणबीर कपूर ने अपने आधे-अधूरे और कहा जाए कि कमजोर किरदार को अपनी परफॉरमेंस से बेहतर बनाने की कोशिश जरूर की। इमोशनल सीनों में वे बाजी मारते हैं। कॉमेडी और रोमांटिक सीनों में भी वे कमजोर नहीं पड़ते, लेकिन वे यहां आकर मार खा जाते हैं कि बाकी किरदारों से उनको सपोर्ट नहीं मिलता। कटरीना कैफ इस बार कुछ उखड़ी-उखड़ी सी रहीं। हालांकि रणबीर के साथ उनकी कैमिस्ट्री दिलचस्प है।

रोमांटिक और कॉमेडी के अलावा गानों में ये जोड़ी असरकारक है, पर कटरीना अपने सीनों में कमजोर नजर आईं। ऐसा लगा कि उनको सीन पूरा करने की जल्दी थी। सहायक भूमिकाओं की बात करें, तो सौरभ शुक्ला एक बार फिर दिलचस्प रहे। जग्गा के पिता के रोल में बंगाली किरदार शाश्वत चटर्जी अच्छे रहे। प्रीतम का संगीत बहुत अच्छा नहीं रहा। फिल्म देखने के बाद एक भी गाना याद नहीं रहता। 

रणबीर कपूर और अनुराग बसु की पिछली फिल्म बर्फी से इस फिल्म की तुलना का कोई आधार नहीं बैठता। फिर भी कहा जा सकता है कि बर्फी के मुकाबले इस फिल्म को लेकर, दोनों में आत्मविश्वास की बेहद कमी रही है। ऐसा लगता है कि दोनों जल्दी से जल्दी इस फिल्म से पीछा छुड़ाना चाहते थे। 

रणबीर कपूर के करियर के लिए फिल्म अहम मानी जा रही है। कहा जा सकता है कि ‘बॉम्बे वेलवेट’, ‘बेशर्म’ और ‘रॉय’ के बाद उनके करियर में एक और असफल फिल्म का नाम जुड़ सकता है। रणबीर और कटरीना के फैंस इस फिल्म को बचा लें, तो अलग बात है, मगर एक साधारण दर्शक इस फिल्म से खुश नहीं होगा। बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म झटका है, जो जोरों से लगने वाला है। 

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