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बजट पर बोले चिदंबरम, केंद्र किसानों की दुर्दशा से बेखबर.

DELHI. नई दिल्ली, 02 फरवरी= कांग्रेस ने दावा किया है कि बजट पेश होने के 24 घंटे बाद ही लोगों ने इस बारे में बात करना बंद कर दिया, क्योंकि केंद्र ने साहसी सुधार करने, मांग एवं खपत बढ़ाने तथा रोजगार सृजन का सुनहरा अवसर गंवा दिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने वित्त मंत्री अरुण जेटल द्वार पेश बजट पर कहा, ‘काश सरकार यूपीए-1 की विकास दर 8.5% और कुल 7.5% को छू पाती। उन्हें शुभकामनाएं, लेकिन वे ऐसा करने की हालत में नहीं हैं।’

पी.चिदंबरम ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि वित्त मंत्री ने बजट के दौरान एक बार भी एमएसपी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जबकि किसान इस बजट से बहुत उम्मीदें लगाए बैठे थे। सरकार कृषक समुदाय की दुर्दशा से बेखबर लगती है इसलिए बजट में इनके लिए किसी भी मुआवजे की पेशकश नहीं की गई जबकि कांग्रेस लगातार यह मांग करती रही है।

पी.चिदंबरम ने कहा, ‘यह वित्तमंत्री अरुण जेटली का चौथा बजट था। मैंने 37 पृष्ठ, 184 पैराग्राफ का बजट भाषण तथा पांच परिशिष्टों के 21 पृष्ठ और एक बिना शीर्षक का खंड पढ़ा। यह काफी भारी था पर अंत में हम सबने यही निष्कर्ष निकाला कि सरकार की यह पूरी मेहनत एक रेत का टीला बनाने जैसा है।’

उन्होंने कहा, वैसे बजट में कुछ अच्छी बातें हैं। सबसे अच्छी बात यह कि सरकार नोटबंदी की असफलता से सबक सीख चुकी है और इस बार उसने कोई भी जल्दबाजी वाला या विध्वंसकारी काम नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात के लिए वित्तमंत्री की सराहना करता हूं कि उन्होंने कुछ संयम बरता है इस बजट को बनाने में। लेकिन यह साफ दिख रहा है कि नोटबंदी की शिकस्त ने सरकार का आत्मविश्वास चकनाचूर कर दिया है। सरकार ने सुधारों से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।’

चिदंबरम ने दावा किया कि सरकार के पास अर्थव्यवस्था की गंभीर चुनौतियों के लिए कोई भी समाधान नहीं है। समाज के महत्वपूर्ण वर्ग इस समय अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। नोटबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले लोग, किसान, खेत मजदूर, श्रमिक मजदूर, स्वरोजगार करने वाले, कारीगर, अतिलघु, लघु एवं मध्यम व्यापारी थे। उन्हें मजदूरी, आय एवं पूंजी में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। बजट में इस वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है। हमने सरकार से मांग की थी कि इस वर्ग को किसी न किसी रूप में मुआवजा दिया जाए, लेकिन सरकार ने उनकी उपेक्षा कर दी।

खेती-बाड़ी में इस समय घोर निराशा का माहौल है। सरकार किसानों की दुर्दशा से पूरी तरह बेखबर है। किसानों की सबसे अच्छी सहायता उसकी फसल का उचित समर्थन मूल्य है। वित्तमंत्री ने अपने भाषण में ‘‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’’ का एक बार भी जिक्र नहीं किया। इस बजट में किसानों के साथ बड़ा धोखा किया गया है।

एनडीए ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वायदा किया था, लेकिन पिछले तीन वर्षों में उस वायदे को निभाने में पूरी तरह असफल हो गए। अभी तक उनका सबसे अच्छा काम साल 2015-16 में रहा, जब लगभग 1.5 लाख नौकरियां दी गईं। इस बजट में नई नौकरियों के निर्माण के लिए कोई कार्ययोजना नहीं है।

वहीं उन्होंने कहा कि देश में निवेश लगातार घट रहा है। एनडीए सरकार के काम संभालने के बाद से ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन लगातार गिर रहा है। आर्थिक सर्वे के अनुसार साल 2014-15 में यह 4.9 प्रतिशत था, 2015-16 में 3.9 प्रतिशत और साल 2016-17 में घटकर -0.2 प्रतिशत रह गया। निवेश आकर्षित करने के लिए इस बजट में कुछ नहीं है।

चिदंबरम ने कहा कि वृद्धि दर बढ़ाने, वैश्विक मंदी, अनुचित नीतियों तथा नोटबंदी के गलत फैसले के चलते जीडीपी की वृद्धि दर बुरी तरह से टूट गई है। आर्थिक सर्वेक्षण ने भ्रामक तरीके से यह दलील दी थी कि 7 प्रतिशत की अनुमानित आधाररेखा के सापेक्ष वृद्धि में 0.25 से 0.50 प्रतिशत की कमी आएगी। यह शब्दों की चाशनी में लपेटकर बात रखने का तरीका है कि साल 2016-17 की शुरुआत में अनुमानित 7.6 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले वास्तविक वृद्धि केवल 6.5 प्रतिशत से 6.75 प्रतिशत रहने का अनुमान है। लेकिन वास्तविक स्थिति और भी खराब होगी। न केवल 2016-17 में बल्कि इसके बाद 2017-18 तथा 2018-19 में भी वृद्धि दर काफी कम रहने की उम्मीद है। बजट में जीडीपी की वृद्धि दर को पुनः स्थापित करने के लिए कोई भी बात नहीं कही गई।

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वहीं कुल मांग को बढ़ाने का प्रमाणित और सबसे अच्छा तरीका है कि अप्रत्यक्ष करों, खासकर एक्साइज ड्यूटी एवं सर्विस टैक्स में कटौती की जाए, जो गरीब, मध्यमवर्गीय तथा अमीरों सहित हर उपभोक्ता द्वारा दिए जाते हैं। अप्रत्यक्ष करों में कटौती से करोड़ों लोगों को तत्काल राहत मिल सकती थी। सरकार ने इस विकल्प को पूरी तरह खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि टैक्स में वित्तमंत्री द्वारा घोषित कटौती लॉलीपॉप की तरह है। यदि आप इसकी गणना करके देखेंगे, तो पाएंगे कि देश के 1.98 करोड़ करदाताओं को औसतन 5000 रु. प्रति करदाता की राहत दी गई है। हम इस राहत का स्वागत करते हैं, लेकिन यह उन लोगों के लिए बहुत छोटा मुआवजा है, जो अपने खाते से खुद का पैसा निकालने के लिए घंटों और हफ्तों तक बैंकों की लाइन में खड़े रहे। टैक्स में सही कटौती तब होती, जब अप्रत्यक्ष करों में कटौती की जाती, क्योंकि इससे मांग बढ़ने के अलावा करोड़ों लोगों को सीधा फायदा पहुंचता।

इसके साथ ही बजट भाषण के परिशिष्ट में आयकर कानून के विभिन्न प्रावधानों द्वारा कम से कम 85 बदलाव किए गए हैं। कोई भी औसत करदाता इन बदलावों को नहीं समझ सकता। हर बदलाव का उद्देश्य ‘एक विसंगति को सुधारना’ या ‘एक कमी को पूरा करना’ है। यह प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होगी। इसी कारण यह आवश्यक है कि मसौदा प्रत्यक्ष कर संहिता अपडेट करके लागू की जाए।

उन्होंने कहा कि साल 2016-17 के लिए नॉमिनल जीडीपी का सही आंकड़ा क्या है? पिछले साल के बजट दस्तावेजों के अनुसार, साल, 2016-17 के लिए नॉमिनल जीडीपी 150,65,010 करोड़ रु. था। इस बार के बजट के अनुसार संशोधित अनुमान 150,75,429 करोड़ रु. है। हम किस आंकड़े पर भरोसा करें?

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