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बीमार आईडीबीआई में एलआईसी से 13,000 करोड़ रुपये लगवाया गया, तो विपक्ष बनाएगा मुद्दा

नई दिल्ली, 05जुलाई (हि.स.)। जीवन बीमा निगम ने यदि पालिसी धारकों के 13,000 करोड़ रुपये, बहुत खराब हालत वाले आईडीबीआई बैंक में लगा दिये, और आईडीबीआई बैंक की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, पालिसी धारकों की लगाई रकम डूब गई, तब क्या होगा? तब तो केन्द्र सरकार को वह रकम जो जीवन बीमा निगम ने आईडीबीआई बैंक में लगाई होगी, उसे राइटआफ करना होगा, बट्टे – खाते में डालना होगा। ऐसे में केन्द्र सरकार का यह कदम बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बन जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इस डर से वित्त मंत्रालय व उसके आका, जीवन बीमा निगम व आईडीबीआई बैंक के सौदे को लेकर आशंकित व असहज हो गये हैं। 

सूत्रों के मुताबिक वैसे तो वित्त मंत्रालय ने बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (इन्श्योंरेंस रेगुलेटरी डवलपमेंट अथारिटी) के मार्फत यह व्यवस्था कर दी है कि प्राधिकरण एलआईसी को 15 प्रतिशत इक्विटी की लिमिट से अधिक एक बैंक में निवेश करने की अनुमति दे दे। लेकिन एलआईसी ने बीमार आईडीबीआई बैंक का यदि 51 प्रतिशत शेयर खरीद लिया और उसके बाद भी आईडीबीआई बैंक घाटे से नहीं उबरा, जिसका अंदेशा ज्यादा है, तब क्या होगा? इस भय से हिले वित्त मंत्रालय के साहब लोग कुछ ऐसे रास्ते तलाश रहे हैं, जिससे केवल वही लेपेटे में नहीं आएं। यह देखा जा रहा है कि क्या इसके लिए एलआईसी एक्ट में संशोधन के लिए विधेयक लाने की जरूरत है, जिसमें एलआईसी को बीमार आईडीबीआई बैंक को खरीदने की अनुमति हो। या केवल कैबिनेट से आईडीबीआई बैंक के 51 प्रतिशत शेयर एलआईसी द्वारा खरीदने की स्वीकृति लेना ही पर्याप्त रहेगा।

मुश्किल यह है कि एलआईसी द्वारा आईडीबीआई बैंक के 51 प्रतिशत खरीदने के सौदे की खबर से आईडीबीआई का शेयर बहुत उछल गया है। एलआईसी का आईडीबीआई बैंक में अभी जो शेयर है, उसको बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने के लिए , एलआईसी को आईडीबीआई बैंक का और 40.17 प्रतिशत शेयर खरीदना पड़ेगा। इसके लिए एलआईसी को बाजार दर से आईडीबीआई बैंक का शेयर खरीदना होगा। जो कि अभी संभावित सौदे के चलते अपने उचित मूल्य से बहुत ऊपर चढ़ा हुआ है। इसके लिए एलआईसी को 13,000 करोड़ रुपये देने होंगे।
इधर बीमार आईडीबीआई बैंक की हालत यह है कि इसके कुल ऋण का 28 प्रतिशत बैड लोन है। इसके अलावा 30 प्रतिशत संदिग्ध पोर्टफोलियो हैं। आईडीबीआई बैंक को 2015 -18 में 13,396 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इसके पास 55,866 करोड़ रुपये से अधिक की खराब सम्पत्ति हैं। 

ऐसे में वित्त व राजनीतिक जगत में यह कहा जाने लगा है कि एलआईसी से गन प्वाइंट पर बीमार बैंक आईडीबीआई में बीमा धारकों का 13,000 करोड़ रूपये निवेश कराया जा रहा है। जैसे ही एलआईसी ने बीमार आडीबीआई बैंक में निवेश किया , यानि उसके 40.17 शेयर 13,000 करोड़ रुपये में खरीदे, उसके बाद आडीबीआई बैंक के शेयर नीचे लुढ़कने की संभावना है। सूत्रों का कहना है, क्योंकि अभी जो शेयरधारक सौदे के लोभ में रूके हुए हैं, सौदा होते ही डूबने से बचने के लिए अपने निवेश निकालने लगेंगे। इस तरह यदि एलआईसी व आडीबीआई का यह सौदा सफल नहीं हुआ, आईडीबीआई लगातार घाटे में जाती रही, तो एलआईसी पालिसी धारकों के 13,000 करोड़ रुपये डूबने की नौबत आ जाएगी। तब एलआईसी को आईडीबीआई बैंक, कम दाम में बेचने की अनुमति देनी पड़ेगी। इससे जो 13 हजार करोड़ रुपये से बहुत अधिक घाटा होगा उसे बट्टे-खाते में डालना पड़ेगा।

सूत्रों का कहना है कि ऐसे बीमार बैंक में बीमा धारकों का पैसा एलआईसी से एक तरह से बंदूक की नोक पर लगवाने का कोई औचित्व नहीं है। लेकिन जिस तरह से इस बैंक में एलआईसी से 13 हजार करोड़ रूपये लगवाने की कोशिश हो रही है, इससे आशंका होने लगी है कि आईडीबीआई में धन लगाये बैठे कुछ बड़े शेयर धारकों को लाभ पहुंचाने के लिए यह किया जा रहा है, या इसी तरह का कोई और खेल होगा। इस बारे में वामपंथी सांसद डी.राजा व समाजवादी नेता शरद यादव का कहना है कि यह सौदा हुआ, पालिसीधारकों का 13 हजार करोड़ रुपये एलआईसी के मार्फत बीमार आईडीबीआई में लगाया गया ,तो इसे विपक्षी राजनीतिक दल वर्तमान केन्द्र सरकार व उसके आला नेताओं के विरूद्ध बड़ा चुनावी मुद्दा बनायेंगे। 

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