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महाकाल मंदिर में सुप्रीम कोर्ट के नाम का बोर्ड लगाने पर कोर्ट ने लगाई फटकार

नई दिल्ली, 30 नवम्बर (हि.स.)। उज्जैन के महाकाल मंदिर में सुप्रीम कोर्ट के नाम का बोर्ड लगाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि जब हमने ऐसा कोई आदेश ही नहीं दिया तो मंदिर प्रशासन ऐसा कैसे कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अवमानना का केस का आदेश दे सकते हैं। कोर्ट की गरिमा का आपको ख्याल ही नहीं है। मीडिया कैसे रिपोर्टिंग कर रही है?

सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर पर टंगे नोटिस बोर्ड को हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि हमने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है हमने सिर्फ सुझाव को मंजूरी दी थी। मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। 

पिछले 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अब एक श्रद्धालु आधा लीटर जल से ही अभिषेक कर सकेगा। एक श्रद्धालु सवा लीटर पंचामृत चढ़ा सकेगा। कोर्ट ने ज्योतिर्लिंग पर गुड़, शक्कर जैसी चीजों का लेप न लगाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आरती के बाद शिवलिंग को सूती कपड़े से ढकने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञों की कमेटी की रिपोर्ट के बाद ये फैसला दिया था।

महाकाल की पूजा के लिए सुबह पंचामृत से अभिषेक होता है। फिर जलाभिषेक और भस्म आरती होती है। रात तक चार बार अभिषेक होता है। श्रद्धालु दिनभर में कई बार पंचामृत चढ़ाते हैं। महाकाल का भांग से श्रृंगार होता है। कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक पुजारियों के अलावा बाकी लोगों को गर्भ गृह में न जाने दिया जाए और ऐसा न कर पाने की स्थिति में लोगों की संख्या सीमित कर देना चाहिए। कमेटी ने पूरा दिन ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने से नुकसान की बात कही है। कमेटी ने जल चढ़ाने को सीमित करने की अनुशंसा की है। शिवलिंग पर गुड़, शक्कर जैसी चीजों का लेप न लगाने की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट से की है।

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