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यूएनडीपी के तहत विलुप्ति के कगार पर पहुचे , हिम तेंदुओं की सुधरेगी हालत

Uttarakhand. नैनीताल, 28 फरवरी=  विलुप्ति के कगार पर पहुंचे हिम तेंदुओं (स्नो लैपर्ड) का वजूद बचाए रखने को संयुक्त राष्ट्र ने हाथ बढ़ाए हैं। अब तक के सबसे बड़े महत्वाकांक्षी यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (यूएनडीपी) के तहत हिमालय क्षेत्र में स्नो लैपर्ड के आवास क्षेत्रों को उसके माकूल बनाया जाएगा। वहीं उसके संरक्षण के लिए ट्रैप कैमरे से लगातार मॉनीटरिंग व पैट्रोलिंग की जाएगी। खास बात यह होगी कि वन कर्मियों को बर्फ के लिहाज से उतनी ही बेहतर सुविधाएं व संसाधन भी मुहैया कराए जाएंगे। देश में हिम तेंदुओं का कुनबा बढ़ाने को अध्ययन व संरक्षण की शुरुआत उत्तराखंड से होगी।

बताते चले कि भारत में तकरीबन 75 हजार वर्ग किमी के हिमालयी दायरे में विचरण करने वाला हिम तेंदुआ संकट में है। प्रकृतिक संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ की लाल सूची में दर्ज स्नो लैपर्ड की गंगोत्री घाटी के सुंदरढूंगा ग्लेशियर में मौजूदगी पिछले दिनों कैमरे में कैद की जा चुकी है। कुमाऊं के सीमांत पिथौरागढ़ जिले में भी अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिम तेंदुए की मौजूदगी दर्ज की गई है।

इधर हिम तेंदुओं का अस्तित्व बचाने के लिए वन मंत्रालय की पहल पर संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने वाली इकाई ने न केवल हामी भरी है, बल्कि प्रोजेक्ट का रोडमैप आखिरी चरण में पहुंच गया है।

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यूएनडीपी के तहत उत्तराखंड में समुद्री सतह से 3500 से 7000 मीटर की ऊंचाई पर हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुओं के वास स्थलों को सुधारा जाएगा। वन चौकियों को और सुदृढ़ बना स्नो लैपर्ड कॉरिडोर पर कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। बर्फीली बेल्ट में वन कमियों को पैट्रोलिंग व मॉनीटरिंग में बाधा न पहुंचे, उन्हें वर्दी व अन्य साजोसामान से लैस किया जाएगा। हिमालयी राज्य के बाद हिम तेंदुओं की मौजूदगी वाले जम्मू कश्मीर, हिमाचल व लद्दाख क्षेत्र में भी संयुक्त राष्ट्र के इस विकास प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जाना है।

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