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रामसेतु को ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया जाए : विश्व हिन्दू परिषद

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने डिस्कवरी चैनल के अमेरिकी वैज्ञानिकों के हवाले से रामसेतु के मानव निर्मित होने के दावे का स्वागत किया है। 

विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन ने कहा, ‘‘नासा का सैटेलाइट इस तथ्य की ओर पहले ही संकेत कर चुका था| इन वैज्ञानिक खोजों ने यह और स्पष्ट कर दिया है कि केवल रामसेतु ही नहीं, भगवान राम भी भारत के गौरवशाली इतिहास का एक अटूट भाग हैं।’’

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के डिस्कवरी नेटवर्क के साइंस चैनल की डाक्यूमेंटरी का प्रोमो जारी किया गया है। इसमें खुलासा किया है कि भारत और श्रीलंका के बीच पौराणिक राम सेतु का अस्तित्व वास्तविक है और यह मानवनिर्मित है। साइंस चैनल पर यह डाक्यूमेंटरी अमेरिका में वहां के समय के अनुसार बुधवार 7.30 पर प्रसारित की जाएगी। फिलहाल कार्यक्रम प्रोमों यू-ट्यूब पर अपलोड किया गया है जिसे अब तक रिकॉर्ड 11 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। 

डॉ. जैन ने कहा कि यह रिपोर्ट भगवान राम के अस्तित्व पर प्रश्न उठाने वालों को एक जवाब देती है। उन्होंने कहा, ‘‘अंग्रेजों के द्वारा प्रारंभ किया गया यह षड्यंत्र भारत को अपनी जड़ों से काटने का षड्यंत्र था क्योंकि उन्हें मालूम था कि भारत की जड़ें राम के साथ जुड़ी हैं। दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद भी जिस तरह कुछ राजनेताओं और इतिहासकारों ने राम के अस्तित्व को नकारा, वह बेहद शर्मनाक है। अब उन सबको व कांग्रेस अध्यक्ष को राम के अस्तित्व को नकारने वाले शपथ पत्र देने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।’’

विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है कि विश्व हिन्दू परिषद मांग करती है कि रामसेतु को राष्ट्रीय ऐतिहासिक धरोहर घोषित किया जाए जिससे भविष्य में कोई इस ओर उंगली उठा सके।

रामेश्वरम के समीप पम्पन द्वीप और श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक करीब 50 किलोमीटर लम्बे रामसेतु का उल्लेख रामायण और अन्य हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में है। ब्रिटिश राज में भी इस पुल के अस्तित्व को स्वीकार किया गया था तथा सरकारी मानचित्रों में इसे ‘आदम का पुल’ बताया गया था। 

समुद्री क्षेत्र में नौवहन मार्ग के लिए रामसेतु के बीच में से रास्ता बनाने की योजना तैयार की गई थी। मनमोहन सरकार के कार्यकाल में मार्ग निर्माण का काम शुरू हुआ तो देशभर में व्यापक जनआंदोलन हुआ। मामला उच्चतम न्यायालय गया जिसके बाद निर्माण कार्य रुक गया। उस दौरान मनमोहन सरकार ने न्यायालय में शपथ पत्र दाखिल कर रामसेतु और भगवान राम के अस्तित्व को किवदंती बताया जिसकी व्यापक आलोचना हुई। 

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