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रूस से संबंध सुधारना चाहता है ब्रिटेन

लंदन, 06 अप्रैल (हि.स.)। काफी समय से रूस के साथ अमेरिका और ब्रिटेन के संबंध सहज नहीं हैं, लेकिन लगता है कि रूस को लेकर इन दोनों देशों की सोच एकसाथ ही बदल गई है। पहले जहां ट्रंप ने रूस के साथ रिश्ते बेहतर करने की जरूरत पर जोर दिया था, वहीं अब ब्रिटेन भी इसी दिशा में कोशिश करता हुआ नजर आ रहा है। यह जानकारी गुरुवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।

उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन अमेरिका का निकट सहयोगी है, इसलिए अपने मित्र देश के पदचिन्हों पर चलने में ही अपनी भलाई समझता है। इसके अलावा ब्रेक्जिट के मद्देनजर भी वह रूस से द्विपक्षीय संबंध सुधारने को लेकर इच्छुक है।

राजनयिक सूत्रों जानकारी मिली है कि ब्रिटेन चुपचाप रूस के साथ अपने संबंधों को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ‘द इंडिपेंडेंट’ अखबार से बात करते हुए पश्चिमी यूरोप के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा, “भविष्य में ट्रंप प्रशासन के रुख परिवर्तन के हिसाब से ही ब्रिटेन को रूस के साथ अपने संबंधों की शक्ल तय करनी पड़ेगी। हमें लगता है कि पहले जहां रूस को लेकर ब्रिटेन का रवैया बहुत कट्टर और दृढ़ था, वहीं अब ब्रिटेन व्यावहारिक नजरिया अपनाएगा।”

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राजनयिक ने आगे कहा, “’मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका में रूस की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर यह जरूरी है। ऐसा नहीं कि हम अब रूस द्वारा यूक्रेन से क्रीमिया को अलग करने जैसी चीजों के खिलाफ नहीं हैं। हम अब भी इसकी निंदा करते हैं, लेकिन हम यह भी जानते हैं कि हमें रूस के साथ बातचीत करने की जरूरत है।”

ब्रिटिश सरकार मॉस्को के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार कर इसे ठोस करने की रणनीति पर काम कर रही है। इस पर टिप्पणी करते हुए एक अन्य यूरोपीय राजनयिक ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि ब्रिटेन इसपर अपना रुख साफ करेगा। उसे पता है कि उन्हें रूस के साथ अपने रिश्ते सुधारने हैं। शायद ऐसा बस इसलिए होगा कि अमेरिका भी आने वाले दिनों में यही करने जा रहा है। ब्रेक्जिट के बाद तो ब्रिटेन के लिए यह ज्यादा अहम हो जाएगा। हमने देखा है कि कई मुद्दों पर ट्रंप प्रशासन जैसी प्रतिक्रिया देता है, उसी सुर में ब्रिटेन भी बात करता है।”

जानकारी के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार ने इस सिलसिले में रूस से बात करने की कोशिश की है और ऐसा ट्रंप प्रशासन के कार्यकार संभालने के बाद हुआ है। इससे पहले मार्च में ब्रिटिश विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने रूस दौरे पर जाने की घोषणा की थी। पांच साल बाद कोई ब्रिटिश मंत्री रूस के आधिकारिक दौरे पर जाने वाला था, लेकिन फिर नाटो के विदेश मंत्रियों की एक बैठक के कारण जॉनसन का यह दौरा रद्द हो गया।

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