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लालू के जेल जाने से अंदर ही अंदर टूट रहीं हैं राबड़ी, कारण जानकर हैरान हो जायेंगे आप

पटना, सनाउल हक़ चंचल

पटना : कहते हैं कि पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का पवित्र बंधन होता है. दुख-सुख में एक दूसरे का साथ उन्हें सबलता और मजबूती प्रदान करता है. बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया व राजद सुप्रीमो लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी का रिश्ता भी काफी खास है. पति-पत्नी राजनीति में सक्रिय हैं. लालू चारा घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद न्यायिक हिरासत में हैं, वहीं राबड़ी देवी बेनामी संपत्ति के आरोपों से दो-चार हो रही हैं. लालू के जेल जाने का दर्द राबड़ी देवी से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता है. इस बार लालू के जेल जाने के बाद राबड़ी के बयानों में उनके दर्द को महसूसा जा सकता है. 

पूर्व में जब चारा घोटाला का मामला सामने आने के बाद जब लालू यादव जेल गये तब राबड़ी देवी ने प्रदेश की सत्ता संभाली थी. लालू ने अपनी पार्टी के कद्दावर नेताओं की योग्यता को दरकिनार कर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता के लिए माकूल समझा था. राबड़ी देवी को उस वक्त राजनीति का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन पति के सबल से राजनीति में कूद चुकी राबड़ी ने सत्ता संभाल लिया.  उसके बाद से अब तक राबड़ी सक्रिय राजनीति में लंबा अरसा गुजार चुकी हैं और तमाम उतार-चढ़ाव देख चुकी हैं. उन दिनों में राबड़ी की छवि मानसिक तौर पर मजबूत महिला की बनी. बाद में जब, 30 सितंबर 2013 को लालू यादव जेल गये, फिर भी राबड़ी देवी संभली रहीं और उन्होंने उस साल अकेले छठ व्रत किया और लालू के जेल से बाहर आने की कामना की. 

इस बार पहले जैसी परिस्थिति नहीं है. लालू का पूरा परिवार बेनामी संपत्ति के मामले को लेकर जांच एजेंसियों के घेरे में है. यहां तक कि बेटी और दामाद पर भी ईडी और सीबीआई की निगाहें लगी हुई हैं. लालू परिवार के एक मजबूत स्तंभ हैं. तेजस्वी और तेज प्रताप सियासत की शुरुआती पाठशाला में हैं. उन्हें अभी राजनीति के पाठ्यक्रम की शिक्षा लालू द्वारा मिलनी शुरू ही हुई थी, कि उन्हें जेल जाना पड़ा. राबड़ी को यह पता है कि पूरी पार्टी को एक जुट रखना और बेनामी संपत्ति के जांच के फ्रंट पर सामना करना तेजस्वी और तेज प्रताप के वश की बात नहीं. राबड़ी देवी यह भी जानती हैं कि पार्टी के अंदर असंतुष्ट काफी सक्रिय हैं और वह पार्टी को नुकसान पहुंचाने की ताक में रहते हैं.

लालू के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी ने, जो पहला बयान दिया है, वह भी पार्टी के समर्थकों को लेकर है. राबड़ी ने कहा है कि कार्यकर्ता मनोबल गिरा कर नहीं रखें. कोर्ट का जो भी निर्णय है, उसे उनका परिवार स्वीकार करता है. उन्होंने कहा कि आगे भी जो न्याय मिलेगा, उसका स्वागत किया जायेगा. कोर्ट जो कहेगा, वह मानना ही पड़ेगा. उन्होंने लालू प्रसाद की सेहत को लेकर चिंता जतायी और कहा कि वह दवा पर रहते हैं. सुबह-शाम दवा लेते हैं. दवा को लेकर कोर्ट में भी अर्जी दी गयी थी. पता नहीं उसका क्या हुआ. लालू प्रसाद के हार्ट का ऑपरेशन भी हुआ है. वह अपने से दवा भी नहीं खाते हैं. वहां कैसे दवा लेते हैं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. कोर्ट के फैसले से जनता में निराशा है. पर मन में यह आशा है कि ‘साहेब’ को न्याय मिलेगा. भगवान के घर में देर है, अंधेर नहीं है. 

राबड़ी के उपरोक्त बयान में उनके दर्द साफ दिखता है. राबड़ी ने कहा कि मैं बिहार की जनता और पार्टी के लोगों से अपील करती हूं कि वो शांति से रहें, क्योंकि ऊपर वाला जो भी करेगा वह सही ही करेगा. उन्होंने कहा कि ऊपर वाले ने हमारे साथ कभी भी गलत नहीं किया. लालू बिहार की जनता की ताकत के साथ-साथ पार्टी की ताकत हैं, तो पार्टी के कार्यकर्ता और बिहार की जनता उनके ताकत हैं. यह बयान बताते हैं कि राबड़ी देवी की जिम्‍मेदारी पहले से ज्‍यादा बढ़ गई है. हाल में लालू परिवार के कई सदस्‍य इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट और प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में हैं. उनकी बेटी और सांसद मीसा भारती, दामाद शैलेश लगातार जांच एजेंसियों के सामने हाजिरी दे रहे हैं. बेटे तेजस्‍वी और तेज प्रताप यादव भी आरोप के घेरे में हैं. खुद राबड़ी भी ऐसी ही स्‍थ‍िति से गुजर रही हैं. कुल मिलाकर, दर्द बड़ा है, बस भरोसा ऊपर वाले पर है. 

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