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विधायक की दादागिरी पर बाम्बे हाईकोर्ट से जेल प्रशासन को पड़ी फटकार

मुंबई, 12 सितम्बर : अन्नाभाउ साठे महामंडल में हुए आर्थिक धोखाधड़ी मामले में जेल में बंद विधायक रमेश कदम जेल प्रशासन पर हावी होते जा रहे हैं। इस मामले की सुनवाई करते हुए बाम्बे हाईकोर्ट ने जेल अधिकारियों से पूछा कि उनके पास कुछ अधिकार है या नहीं? रमेश कदम के सामने जेल अधिकारी स्वत: को कमजोर क्यों मानते हैं और कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा कहते हुए हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को जमकर फटकार लगाई।

गौरतलब है कि जन आंदोलन नामक संस्था ने राज्य की जेलों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव को लेकर एक जनहित याचिका दायर की है। इस जनहित याचिका की सुनवाई चल रही है। इसी क्रम में पता चला है कि विचाराधीन बंदियों के साथ रखे गए विधायक रमेश कदम, जो कि अन्नाभाउ साठे महामंडल में हुए आर्थिक धोखाधड़ी मामले के आरोपी हैं। वे जेल में बंद विचाराधीन बंदियों के साथ गुटबाजी करने के प्रयास में हैं। इससे जेल की सुरक्षा को खतरा होने की बात कही जा रही है।

ऐसी रिपोर्ट आर्थर रोड जेल की परिस्थिति पर एक न्यायमूर्ति ने तैयार करके उसे मुंबई हाईकोर्ट में पेश किया है। इसी मामले को जब जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाया गया तो जेल प्रशासन को फटकार लगाते हुए मुंबई हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभय ओक और न्यायमूर्ति रियाज छागला ने कहा है कि वह हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है। वहीं सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि जगह के अभाव में कदम को विचाराधीन कैदियों के साथ रखा गया है। हालांकि कदम को अन्य जेल में हस्तांतरित करने के लिए सत्र न्यायालय में आवेदन दिया गया है। जेल प्रशासन के पास कैदियों पर कार्रवाई करने का अधिकार है। रमेश कदम विचाराधीन बंदी हैं, इसलिए उन पर कार्रवाई करने का अधिकार जेल अधिकारियों के पास नहीं है।

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