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व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देना सरकार का मुख्य कर्तव्य: केजरीवाल

नई दिल्ली, 21 दिसम्बर (हि.स.)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने गुरुवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के मुद्दे पर खुल कर अपनी राय रखते हुए कहा कि अब केंद्र सरकार भी धीरे-धीरे जीएसटी की दरों को समझने लगी है। व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देना और व्यापारियों को मान-सम्मान देना सरकार का मुख्य कर्तव्य है।

केजरीवाल ने दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित जीएसटी कॉन्क्लेव में गुरुवार को कहा, ‘देश के किसी भी राज्य में व्यापारियों को सरकार का हिस्सा नहीं बनाया गया। जीएसटी कमेटियों के माध्यम से हमने व्यापारियों को सरकार का हिस्सा बनाया है। यही असली जनतंत्र है, व्यापारी सरकार के पार्टनर हैं। हम पहले से ही जीएसटी की दरों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं, हमे लगता है की अब धीरे-धीरे केंद्र सरकार भी जीएसटी की दरों को समझने लगी है, जीएसटी को लेकर जो भी मुद्दे राज्य सरकार के अंदर हैं वो आप (व्यापारी वर्ग) हमें बताइये, जितना समय आपको बताने में लगेगा उससे कम समय में हम इसे लागू कर देंगे।’

केजरीवाल ने आप सरकार की पीठ थपथपाते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अन्य किसी राज्य में इस तरह के प्रयास हो रहे हैं, जहां उस राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, जीएसटी आयुक्त व्यापारियों साथ बैठकर ये चर्चा कर रहे हैं कि अगले जीएसटी परिषद में क्या मुद्दे रखने हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कोई नेता नहीं हैं, आपके प्रतिनिधि हैं, हम सरकार चलाने में व्यापारियों को अपना सहयोगी और प्रत्यक्ष भागीदार मानते हैं। जैसे सरकार आपसे बात कर रही है वैसे ही आप भी अन्य व्यापारियों से बात करके उनकी समस्याओं और उनके फीडबैक को हम तक पहुंचाइये, आप वहां पर व्यापारियों की मीटिंग कीजिए, हमारे जीएसटी कॉउंसिल के सदस्य भी मौजूद रहेंगे व चर्चा करेंगे, असल मायनों में यही जनतंत्र है। 

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ‘व्यापारी चोरी नहीं करना चाहता है। अगर व्यापारी को ईमानदारी से उसका हक़ दें तो वो ईमानदारी से अपना व्यापार करता है। व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देना और व्यापारियों को मान-सम्मान देना सरकार का मुख्य कर्तव्य है। व्यापार-उद्योग बढ़ेगा तो देश बढ़ेगा, जीडीपी बढ़ेगा, रोजगार बढ़ेगा।’ 

उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने जीएसटी में आ रही समस्याओं को लेकर गुरुवार को व्यापारियों के साथ ये जीएसटी कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इसमें अलग-अलग ट्रेड एसोसिएशन्स के प्रतिनिधियों के साथ-साथ बाजारों में बनाई गई जीएसटी कमिटियों के पदाधिकारी भी शामिल हुए। इस कॉन्क्लेव में 28 प्रतिशत टैक्स की दर को खत्म करने, ई-वे बिल, रिटर्न फाइल में आ रही समस्याओं और जीएसटी पोर्टल में आने वाली तकनीकी खामियों जैसे विषयों पर विशेष फोकस रहा।

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