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सेबी की कड़ाई से कंपनियों को देना होगा डिफॉल्टर्स की जानकारी

मुंबई, 19 दिसंबर (हि.स.)। कर्ज चुकाने में आनाकानी करनेवाली अथवा कर्ज के भुगतान करने में विफल रहनेवाली कंपनियों के खिलाफ भारतीय प्रतिभूति नियामक बोर्ड (सेबी) ने सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। ऐसी कंपनियों के लिए अब बाजार से सच्चाई छुपाना मुश्किल होगा। डिफॉल्ट होने पर शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों को इसकी जानकारी एक्सचेंज को देना अनिवार्य किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक 28 दिसंबर को होने वाली सेबी की बैठक में इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी मिल जाएगी। इस बैठक में कुल 17 प्रस्तावों पर चर्चा होगी।

इससे पहले भारत की सिक्यूरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड (लिस्टिंग ओब्लिग्नेंस एंड डिस्क्लेसर की आवश्यकताओं) विनियम 2016 के संदर्भ में 4 जनवरी 2017 को आयोजित बैठक में तीसरा संशोधन किया गया था। बता दें कि सेबी ने सितंबर 2017 में डिस्क्लोजर गाइडलाइंस जारी करते हुए निवेशकों और लिस्टेड कंपनियों को पारदर्शी कारोबार करने व सभी जानकारियों को बाजार नियामक के पास अपडेट करने का निर्देश दिया था। इसके तहत डिस्क्लोजर गाइडलाइंस को 1 अक्टूबर 2017 से लागू किया जाना था।

लेकिन किसी कारणवश इसे लागू नहीं किया जा सका। सूत्रों का कहना है कि सेबी की अगली बैठक 28 दिसंबर को होगी, जिसमें डिसक्लोजर गाइडलाइंस को मंजूरी दे दी जाएगी। बैठक में म्युचुअल फंड में शेयरहोल्डिंग और गवर्नेंस की शर्तों को मंजूरी देने का भी प्रस्ताव है। कमोडिटीज डेरिवेटिव्स के ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए फीस स्ट्रक्चर को मंजूरी देने की संभावना जताई गई है। इसी के साथ ही स्टॉक ब्रोकर्स एंड सब ब्रोकर्स रेगुलेटशन 1992 में भी बदलाव किया जा सकता है। विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स के निवेश को आसान बनाने का भी प्रस्ताव है। न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग की शर्तों को पूरा करने के अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा। 

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