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1989 के बाद खागा में खत्म नहीं हो सका कांग्रेस का सूखा.

Uttar Pradesh .फतेहपुर, 11 फरवरी =  खागा विधानसभा पहले किशनपुर विधानसभा के नाम से जानी जाती थी, लेकिन 2012 के परसीमन के बाद 243 खागा को सुरक्षित कर दिया गया है। इस सुरक्षित सीट के मतदाताओं की संख्या अन्य विधानसभाओं से तो अधिक है, लेकिन इस बार यहां से कुल 6 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस सीट के मतदाताओं की समझ को जिसने भी परखा, वही दिलों में राज कर बैठा। चेहरे पर यकीन करते हुए मतदाताओं ने उसी के सिर जीत का सेहरा बांधा। चार चेहरे ऐसे भी रहे जो बारी-बारी से क्षेत्र की कमान संभालते रहे हैं। पार्टियों के अदला-बदली के बाद भी यहां के मतदाता सिर्फ चेहरों पर भरोसा करते रहे हैं।

आजादी के बाद से 15 बार विधानसभा में हुए चुनाव में कांग्रेस को 07 बार जीत मिली है। जनता पार्टी को 01 बार, जनता दल 02 बार, बसपा 03 व भाजपा ने 02 बार जीत का परचम फहराया है। कभी कांग्रेस का यह गढ़ रहा है, लेकिन सन् 1989 के चुनाव के बाद यहां पर पार्टी की अब तक वापसी नही हुई है।

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खागा सुरक्षित सीट पहले किशनपुर के नाम पर थी। वर्ष 1967 के चुनाव में यह सीट सुरक्षित कोटे में गयी तो पहली बार कांग्रेस से बद्री प्रसाद कोरी ने जीत दर्ज की। इसके पूर्व 1957 में कांग्रेस के जागेश्वर प्रसाद व 1962 में दीप नारायण सिंह को क्षेत्र के मतदाताओं ने विधायक चुना। अब दीप नारायण सिंह स्वर्गवासी हो चुके हैं। जातीय समीकरण के लिहाज से यह सीट कांग्रेसियों के मजबूत गढ़ बन गयी थी। वर्ष 1969 के चुनाव में कांग्रेस ने इन्द्रजीत कोरी को प्रत्याशी बनाया तो जनता ने उन्हें भरपूर समर्थन देते हुए विधायक चुना। इन्द्रजीत कोरी कांग्रेस से तीन बार व जागेश्वर भी कांग्रेस से तीन बार विधायक चुने गये। वर्ष 1977 में जागेश्वर ने बीपी सिंह का दामन थाम लिया। इसके बाद वह 1977 व 1989 में पुनः विधायक चुने गये। वर्ष 1989 व 1991 में समीकरण बदले तो बसपा ने 1993 में इस सीट पर कब्जा कर लिया। बसपा के मुरलीधर यहॉ से चुनाव जीते।

इसके बाद वर्ष 1996 का चुनाव भी मुरलीधर जीतने में कामयाब हो गये, लेकिन वर्ष 2002 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर पहली बार खाता खोला और उसकी उम्मीदवार कृष्णा पासवान चुनाव जीतीं, लेकिन 2007 में यहॉ के मतदाताओं ने एक बार फिर भाजपा को झटका दिया और बसपा के मुरलीधर को गले लगाया। वर्ष 2012 के चुनाव में कृष्णा पासवान ने भाजपा के चिन्ह पर चुनाव लड़ा और उन्होने अपनी पिछली हार का हिसाब चुकता करते हुए बसपा के मुरलीधर गौतम को हरा दिया। इस बार भी कृष्णा पासवान खागा सुरक्षित सीट से भाजपा की उम्मीदवार है। इस बार बसपा ने मुरलीधर गौतम के स्थान पर क्षेत्र की जनता के सामने नये चेहरे के रूप में पूर्व जिलाध्यक्ष सुनील गौतम को मैदान में उतारा है। इसके अलावा कांग्रेस-सपा गठबंधन ने सपा नेता रहे ओमप्रकाश गिहार पर दांव लगाते हुए उन्हें उम्मीदवार घोषित किया है। बताते चलें कि समस्याओं से घिरी सुरक्षित विधानसभा की सियासत गिने-चुने चेहरों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। खागा व किशनपुर कस्बा सहित विधानसभा क्षेत्र में यमुना कटरी के बाहुल्य गांव शामिल है जिन्हें 15 बार चुने गये प्रतिनिधियों ने सिर्फ आश्वासन के सिवाय कुछ नही दिया। आज भी यमुना तटवर्ती क्षेत्र का यह इलाका अपने पिछड़ेपन के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के लिए आंसू बहा रहा है।

सुरक्षित विधानसभा से चुने गये विधायकों का विवरण
वर्ष जीते प्रत्याशी दल
1957 जागेश्वर कांग्रेस
1962 दीप नारायण सिंह कांग्रेस
1967 बद्री प्रसाद कांग्रेस
1969 इन्द्रजीत कांग्रेस
1977 जागेश्वर जनता पार्टी
1980 इन्द्रजीत कांग्रेस
1985 इन्द्रजीत कांग्रेस
1989 जागेश्वर जनता दल
1991 जागेश्वर जनता दल
1993 मुरलीधर बसपा
1996 मुरलीधर बसपा
2002 कृष्णा पासवान भाजपा
2007 मुरलीधर बसपा
2012 कृष्णा पासवान भाजपा

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