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GST विधेयकों पर बनी सहमति, 1जुलाई से हो सकता है लागू ?

नई दिल्ली, 04 मार्च :=केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल ने शनिवार को इंटीग्रेटेड (आईजीएसटी) और केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) विधेयकों के अंतिम मसौदे को मंजूरी दी। इससे पहली जुलाई से देश के सबसे बड़े कर बदलाव के प्रभावी होने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। जीएसटी लगने के बाद कई सेवाओं और वस्तुओं पर लगने वाला कर समाप्त हो जाएगा। 

KBN10 NEWS .GST ARUN JETLI

जीएसटी काउंसिल की बैठक में शनिवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की। जीएसटी परिषद की 11वीं बैठक में केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी), राज्य जीएसटी (एसजीएसटी), एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) विधेयकों पर विचार-विमर्श किया गया। गौरतलब है कि राज्यों व केंद्र के अधिकारियों की समिति की बैठक गुरुवार को ही हो चुकी है, जिसमें विधि मंत्रालय के विचार पर चर्चा की गयी थी। इस बैठक में जीएसटी काउंसिल ने दो अहम विधेयकों सी-जीएसटी और आई-जीएसटी के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई है। राज्यों की ओर से दिए गए सभी 26 प्रस्ताव मंजूर कर लिए गए। हालांकि अंतिम रूप देने के बाद अब इस पर संसद से मंजूरी लेनी होगी। जीएसटी काउंसिल की बैठक में दोनों विधेयकों को मंजूरी मिलने से राज्यों के वित्त मंत्री संतुष्ट हैं।

बैठक के बाद जेटली ने कहा कि सीजीएसटी और आईजीएसटी विधेयकों के ड्राफ्ट मंजूरी मिल गई है। हालांकि स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी) को राज्य विधानसभाओं द्वारा मंजूरी दी जानी है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों पर 16 मार्च की बैठक में विचार होगा। जेटली ने कहा कि सीजीएसटी, आईजीएसटी और यूटी-जीएसटी विधेयकों को 9 मार्च से शुरू हो रहे बजट सेशन के दूसरे भाग के दौरान पार्लियामेंट में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी को 1 जुलाई को लागू होने की पूरी संभावना है। इसमें 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दर लागू होगी।
उधर, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है। उनका कहना है कि रियल एस्टेट को जीएसटी में लाने पर भ्रष्टाचार कम होगा। उन्होंने वित्तमंत्री अरुण जेटली को इस सिलसिले में एक पत्र भी लिखा है।

GST

मनीष ने अपने पत्र में कहा कि ‘वन ‘नेशन-वन टैक्स’ की अवधारणा पर जीएसटी लागू कर आप देश में सबसे बड़े टैक्स रिफॉर्म का नेतृत्व कर रहे हैं। जीएसटी काउंसिल की हर बैठक में आपने हर छोटे-बड़े मुद्दे को अपनी नेतृत्व क्षमता से जिस तरह से सुलझाया है, उसकी मैं तारीफ भी करूंगा और उसके लिए आपको बधाई भी देना चाहूंगा। लेकिन इतने बड़े टैक्स रिफॉर्म में हम एक बड़ी चूक कर रहे हैं। वह चूक है रियल इस्टेट सेक्टर को जीएसटी से बाहर रखना। मेरा मानना है कि रियल इस्टेट सेक्टर को जीएसटी के दायरे से बाहर रखकर हम देश में ब्लैकमनी के एक बहुत बड़े गलियारे को खुला रख रहे हैं।‘वहीं, पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि राज्यों ने 26 बदलाव की मांग की थी, जिसे केंद्र ने स्वीकार कर लिया है। यह भारत की संघीय व्यवस्था का गुण प्रदर्शित करता है। मित्रा ने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारें ढाबा और छोटे रेस्तरां कारोबारियों के लिए एक निपटान योजना रखने पर सहमत हुए हैं।उन्होंने कहा कि राज्य यह मांग कर रहे थे कि ढाबा और छोटे रेस्तरां निपटारा योजना अपना सकते हैं। केंद्र इस पर सहमत हो गया है कि इन छोटे कारोबारी पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा और यह केंद्र एवं राज्यों के बीच बराबर बांटा जाएगा। 

केंद्र और राज्यों के बीच ये भी सहमति बनी है कि कर की दर को 40 फीसदी तक करने का प्रस्ताव रखा जाए। हालांकि ये महज इनबैलिंग प्रोविजन यानी जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल होने वाला प्रावधान होगा। केंद्र ने साफ किया है कि कर की प्रस्तावित दर 5 से 28 फीसदी के बीच ही है। दूसरी ओर अभी ये भी तय होना है कि सोने पर कर की दर क्या होगी। दरों का प्रस्तावित खाके में आम इस्तेमाल की बड़ी खपत वाले सामान पर जीएसटी की दर 5 फीसदी होगी। वहीं 12 और 18 फीसदी की दो स्टैंडर्ड रेट रखी गयी है। इसके साथ ही रोजमर्रा के सामान

GST 12

जैसे साबुन, शैंपू, शेविंग क्रीम वगैरह इस सूची में आ सकते हैं। 28 फीसदी की दर टीवी, फ्रिज जैसे व्हाइट गुड्स और सामान्य कारों के लिए होगी। एरिटेड ड्रिंक्स, पान मसाला, तंबाकू के उत्पाद और लग्जरी सामान पर जीएसटी की दर 28 फीसदी होगी। इन सामान पर सेस भी लगेगा। इन सामान पर कुल टैक्स की मौजूदा दर और 28 फीसदी के बीच के बराबर सेस लगेगा। मसलन, अभी यदि ऐसे किसी सामान पर केंद्र और राज्य के टैक्स को मिलाकर कुल 40 फीसदी की दर से टैक्स लगता है तो उस पर सेस की दर 12 फीसदी होगी।

बता दें कि जीएसटी परिषद की पिछले महीने हुई बैठक में राज्यों को क्षतिपूर्ति संबंधी कानून को मंजूरी दी गयी। हालांकि, सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी विधेयकों के आधा दर्जन प्रावधानों की कानूनी भाषा के चलते इन्हें मंजूरी नहीं दी जा सकी। (हि.स.)।  

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