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बहुमत परीक्षण से पहले ही गिरी कमलनाथ सरकार

भोपाल । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार शाम को फ्लोर टेस्ट से पहले प्रेस कॉन्फेंस कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि वे कुछ ही देर में राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात करेंगे और उनसे मुलाकात के दौरान अपना इस्तीफा देंगे। इस दौरान उन्होंने कहा है कि हमारी सरकार ने 15 महीने में प्रदेश को नई दिशा देने की कोशिश की है। इन 15 महीनों के दौरान हमने क्या गलती की है। प्रदेश पूछ रहा है कि उनका क्या कसूर है।

कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी ने 22 विधायकों को लालच देकर कर्नाटक में बंधक बनाने का काम किया। इसकी सच्चाई देश की जनता देख रही है। करोड़ों रुपये खर्च करके यह खेल खेला गया। पहले दिन से ही बीजेपी ने षड्यंत्र किया। प्रदेश के साथ धोखा करने वाली बीजेपी को जनता माफ नहीं करेगी।

इससे पहले कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गुरुवार को उस समय जोरदार झटका लगा था जब सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण के लिए शुक्रवार को सदन की विशेष बैठक बुलाने का अध्यक्ष एन पी प्रजापति को निर्देश दिया और कहा कि यह प्रक्रिया शाम पांच बजे तक पूरी करनी होगी।

बेंगलुरू में डेरा डाले कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के बारे में शीर्ष अदालत ने कर्नाटक और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इनके द्वारा उठाये गए किसी भी कदम से नागरिकों के रूप में इनके अधिकारों में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होगा।

राज्यपाल द्वारा 16 मार्च को सदन में राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद कमलनाथ सरकार को विश्वास मत हासिल करने के निर्देश का पालन किये बगैर ही विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च के लिये स्थगित करने की अध्यक्ष की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के नौ विधायकों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।

राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार की रात मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस संबंध में पत्र लिखा था कि उनकी सरकार अल्पमत में आ गयी है, इसलिए राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद वह सदन में विश्वास मत हासिल करें। चौहान ने राज्यपाल के निर्देशानुसार विधान सभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने का अनुरोध किया था।

चौहान और अन्य ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्य में कमल नाथ सरकार सदन में बहुमत खो चुकी है और उसे एक दिन भी सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक, कानूनी, लोकतांत्रिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसके एक दिन बाद ही मप्र कांग्रेस विधायक दल ने भी उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की जिसमें पार्टी के 16 विधायकों का अपहरण कर उन्हें बेंगलुरू में बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया गया था।

पार्टी ने इन बागी विधायकों से मुलाकात करने का अवसर प्रदान करने के लिये केन्द्र और कर्नाटक की भाजपा सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया था। राज्य की 222 सदस्यीय विधानसभा में इस समय कांग्रेस के 16 बागी विधायकों सहित कुछ 108 सदस्य हैं जबकि भाजपा के 107 सदस्य हैं। अध्यक्ष कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे पहले ही स्वीकार कर चुके हैं।

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